Monday, May 9, 2011

मेरे कोमल प्राण

दो कोमल प्राणों को मन में छिपाया है 
मन के कोमल भावों की सेज पर सुलाया है 
मनके सभी राज़ों को उनमें बसाया है 
हर पल वे देंगे साथ , मन में समाया है 
टूटने का वक्त जब भी पास मेरे आया है 
कसते उनके हाथों में मैंने खुद को पाया है
सोचती हूँ जब भी बस ये ख्याल आया है 
मेरी हर मुश्किल में उनका मुझ पे साया है 
अपनी हर कठिनता में उनसे हल जो पाया है 
मेरी सभी उलझन को उसने सुलझाया है 
बहुत निकट होने का अब तो वक्त आया है 
तुमने एक दूजे का बहुत प्यार पाया है 
प्यार तो हमेशा हम सबको साथ लाया है 
हर पल हमने तो खुशियों से सजाया है 
प्यार कम न होगा ये प्रण भी निभाया है 
कठिन श्रम कर कर के जो भी कुछ उगाया है 
मधुर फल को चखने का समय अभी आया है 
खूब हंसी हंस लो कि वक्त ने हंसाया है 
क्या खबर कि पल में फिर क्रूर समय आया है 
वक्त ने अभी तुमको जो मज़ा दिखाया है 
खूब मौज कर लो कि मौसम बहार लाया है 
कल क्या होगा अब  कौन जान पाया है 
अभी में ही जी लो जो वक्त हाथ आया है 
मेरे कोमल प्राणों तमने मुझे बचाया है
तुम्हीं में इस जग का मैंने आधार पाया है       

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