Sunday, July 3, 2011

इंदुजी के साथ एक सुबह

    




   मित्रों और सहेलियों से मिलने के बाद कुछ ऐसा प्रतीत होता होता है , मानो कि ऊर्जा का स्तर ऊर्ध्वगामी हो रहा हो . परन्तु किसी-किसी मित्र परिवार से इतनी आत्मीयता प्राप्त होती है , कि कहते नहीं बनता . इंदुजी का परिवार उसी में से एक परिवार है . 
       रविवार की सुबह जब मैं उनके घर पहुंची , तो मुदित ने मुख्य द्वार पर स्नेहपूर्ण अगवानी की. बिलकुल नहीं बदला मुदित! आठ वर्ष पहले जैसे मुदित को बंगलौर के बैनरघाटा रोड पर मैंने देखा था ; हूबहू वही छवि मेरे सामने उपस्थित थी . लगता ही नहीं कि आई .आई एम् अहमदाबाद से प्रबंधन में निष्णात होने के पश्चात्  विवाह भी कर चुका है . वही भोलेपन से परिपूर्ण मुखमंडल पर, गौरवपूर्ण आभा, ज्यों की त्यों विद्यमान है .
              घर के अन्दर प्रवेश किया तो इंदुजी और उनकी पुत्रवधू ज्योति फ्रूट चाट बना रहे थे; नाश्ते के लिए .   प्राची विवाह के पश्चात् अमेरिका से तीन सप्ताह के लिए दिल्ली आई हुई थी . विशेष तौर पर उसी से तो मिलने के लिए मैं वहां गई थी . हम खूब गले मिले . विवाह के बाद प्राची और भी अधिक सुंदर लग रही थी . वह केलिफोर्निया में गूगल के पास ही रहती है . हमने खूब गप्पें मारी . फ्रूट चाट खाई . ज्योति ने बहुत स्वादिष्ट चाय पिलाई . 
                       ऐसा लगा ही नहीं कि किसी और घर में बैठी हूँ . सबने ऋचा और अंकित के बारे में पूछा . उनके पति ने भाई के हाल चाल पूछे . उसके बाद तो मैं और प्राची कम्प्यूटर लेकर बैठ गए . प्राची ने मेरे ब्लाग देखे . उसने इंदुजी को भी दिखाए . मैं और प्राची इंदुजी से बार बार आग्रह करने लगे कि वो भी ब्लाग लिखें . इंदुजी की पाक शास्त्र में तो रूचि है ही साथ ही अन्य कलात्मक वस्तुएं बनाकर घर को सजाने सँवारने में भी उनकी पूर्ण निपुणता है . हमने उन्हें प्रेरित किया कि वे इसी प्रकार के ब्लाग लिखने प्रारम्भ करें . 
                  तभी ज्योति ने मेरे लिए बहुत स्वादिष्ट सैंडविच बनाया . मुदित से मैंने कहा ," बेटे एक सैंडविच और खिलाओ ." वह तुरंत ज्योति से एक और सैंडविच बनवा लाया . इंदुजी और बच्चे लंच तक वहीँ पर रुकने के लिए बार बार कह रहे थे . इतने स्नेहपूर्ण वातावरण से हिलने का भी मन नहीं कर रहा था ; परन्तु रविवार एक था और काम अनेक . बोझिल मन से सबसे विदा लेती हुई मैं जब नीचे आ रही थी तो घर के बाहर मुझे ज्योति मिली , जो कि बुटीक जा रही थी . मैंने उसे बहुत प्यार किया और वापिस अपने घर आ गई

No comments:

Post a Comment