Thursday, July 14, 2011

विद्यालय का प्रथम दिन

छोटा सा बस्ता लिए जब पहले दिन मैं बाउजी के साथ स्कूल में गई तो मैं बड़ी प्रसन्न थी . बाउजी सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मुझे एक कमरे में ले गए . वहां एक बड़ी सी उम्र की महिला अध्यापिका थी . वहीँ पर मुझे बिठाकर बाउजी चले गए ; यह कहते हुए की छूट्टी होने पर घर आ जाना. मेरा घर स्कूल के पास ही था . वहां पर कुछ लड़कियां रो भी रही थी . मैं सोच रही थी कि स्कूल तो इतना अच्छा है , फिर ये रो क्यों रही हैं . हम सबमें से चार लड़कियों को ऊपर के कमरे में ले जाया गया . वहां एक अध्यापिका ने कहा ,"कल सभी बिना लाइनों वाला पेपर लेकर आना . तुम्हारा पेपर लेकर तुम्हें दूसरी कक्षा में चढ़ा देंगे . उसने कहा कि अपनी कापी में लिख लो कि क्या क्या लाना है . 
                           विद्यालय में प्रवेश करने से पहले ही बाउजी ने इतना पढ़ा दिया था कि मुझे अच्छी हिंदी लिखनी आती थी . मैंने देखा कि उनमें से एक लड़की लिख रही थी ,"बिन लाइन का पेपर ". मैं सोच रही थी कि वैसे तो लिखना चाहिए ,"बिना लाइन का पेपर " परन्तु शायद यह लड़की ज्यादा होशियार होगी . उस लडकी का व्यक्तित्व बड़ा प्रभावशाली लग रहा था . तो मैंने उसको गलत नहीं कह सकी . मैंने अपनी बांस की कलम निकाली और टिन की छोटी सी दवात निकाली जिसमे नीली स्याही थी . दवात की डाट हटाकर मैंने कलम से अपनी कापी में लिख लिया . 
                 हम बच्चे अपने साथ तख्ती भी लाये थे और साथ में काली स्याही की दवात भी . तख्ती को मैंने मुल्तानी मिटटी से अच्छी तरह से पोत रखा था .  उस पर बाउजी ने पेन्सिल से कटखने किये हुए थे . हम बच्चों को तख्ती लिखने को कहा गया . बाउजी ने बांस की कलम का बड़ा सुंदर टक काटा हुआ था . वे तेज़ चाकू से बांस की कलम संवारते और तख्ती खड़ी करके उस पर कलम की चोंच रखकर उस पर तेज़ चाकू रखते . फिर उसके ऊपर जोर से मुक्का मारते . तब कलम का तिरछा सुन्दर सा टक कटता. उससे बहुत सुन्दर लिखाई आती थी . मैंने बाउजी के पेंसिल से किये गए कटखनो पर काली  स्याही भरकर कलम चलाई. बहुत सुन्दर अक्षर बने थे .

                      हम बच्चों की जल्दी ही छुट्टी कर दी गई . घर जाकर माँ को मैंने सब बात बताई . शाम को बाउजी को माँ ने बताया कि कल से इसे सीधे दूसरी कक्षा में ही बैठा दिया जाएगा . बाउजी बोले कि दाखिले के समय ही पूछा गया था कि बच्चे को कितनी पढाई आती है . इसीलिए चार बच्चों को सीधा दूसरी कक्षा में ही दाखिल कर लिया होगा . अगले दिन हम चार लडकियों का इम्तिहान लेने के बाद हमें दूसरी कक्षा में दाखिल कर लिया गया

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