Saturday, August 13, 2011

आपका दोस्त अरंड (castor) !

                                                                                                               अरंड का पेड़  बहुत लाभदायक  है.                                                           हाथ पैर में सूजन हो या घुटनों में दर्द , बस इसका एक पत्ता गरम करके रात को बाँध लो. अगर पत्ते पर अरंड का तेल लगा लिया जाए तो और भी बेहतर है . हर तरह  का दर्द   सूजन इसका पत्ता सोख  लेता है . आँख  में कुछ  पड़ जाए  तो एक दो  बूँद  आँख में डालने पर वह आंसुओं के साथ बाहर आ जाएगा . यह निरापद है.  पत्तों  को पीसकर  आँख पर बांधलें . पलकों पर लुगदी की टिक्की रखकर पट्टी बाँध लें . आँख की लालिमा व जलन समाप्त हो जायेगी .
                    स्तन  कैंसर में  अरंड  के तेल  की मालिश करने से फायदा होता है. स्तन  की गाँठ पर इसका पत्ता बांधें  . एक पत्ता 200 ग्राम  पानी में उबालें जब  50 ग्राम बचे  तो पीयें . यह सवेरे खाली पेट लें. इससे स्तन कैंसर ठीक होता है. त्वचा  फटे  या त्वचा पर काले धब्बे हों, तो  इसके तेल की मालिश करने से त्वचा बिलकुल ठीक हो जाती है
गर्भिणी  स्त्री या नव  प्रसूता  के स्तनों  पर इसकी  गिरी को पीसकर लेप किया जाए तो  गांठें नहीं पड़ती और दूध भी अधिक आता है.Nipple अगर crack हो जाए तो इसका तेल लगा लेना सर्वोत्तम इलाज है . गर्भिणी स्त्री को अगर पीलिया हो जाए तो इसके 5 ग्राम पत्तों का रस  या  काढ़ा ले  सकती है . वैसे भी पीलिया में पांच दिन तक इसके पत्तों का रस आधा कप खाली पेट ले लिया जाए तो पीलिया बिलकुल ठीक होता है .
                              पेट  दर्द में  पानी  में 2 चम्मच  तेल  और  नीम्बू लिया जा सकता है .पेट दर्द तो खत्म होगा ही ,साथ ही यह आँतों  को शक्ति  भी देता है . दूध में मुनक्का उबालकर  और उसमें अरंडी का  तेल एक चम्मच डालकर सोने से पहले लिया जाये तो कब्ज़ भी नहीं रहता और आंतें भी मज़बूत होती हैं .
                                     amoebisis  में भी इसके तेल का प्रतिदिन सेवन किया जाए तो लाभ होता है . appendix  की परेशानी हो या सूजन हो तो एक या दो चम्मच तेल रात को दूध में डालकर पीयें . पेट में  कीड़े हों तो थोडा गुड खाकर बीस मिनट बाद इसके पत्तों का 5 ग्राम रस पी लें . pin worms  हों तो पत्तों का रस anus पर लगायें .  ascities  (जलोदर) की बीमारी में   पेट   फूल जाता है. इसमें अरंड के पंचांग (पाँचों अंग ) बीस ग्राम लेकर पचास ग्राम गोमूत्र में पकाएं . जब आधा रह जाए छानकर सवेरे खाली पेट पिएँ.
                                                      मोटापे में पेट की चर्बी घटानी हो तो अरंड की बीस ग्राम जड़ दो सौ ग्राम पानी में पकाएं . जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें. जादू का सा असर होगा ;लेकिन करना नियमित रूप से होगा. मासिक धर्म की पीड़ा में इसके एक पत्ते को दो सौ ग्राम पानी में पकाएँ. जब रह जाए पचास ग्राम; तो पी लें. उबलते समय अजवायन भी डाल दें तो अच्छा रहेगा . पेट पर इसका पत्ता गर्म करके बाँध लें , तो  दर्द बिलकुल ही समाप्त हो जाएगा 
           आपको हैरानी होगी कि जो bedsore किसी भी तरह ठीक नहीं होने में आते , वो इसका तेल लगाते रहने से कितनी जल्दी अच्छे हो जाते हैं. कितना अद्भुत है यह अरंड का वृक्ष ! अपने आस पास लगाइए न इसे ! आपसे पक्की दोस्ती निभाएगा .  

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