Tuesday, September 27, 2011

अपामार्ग


 
इस पौधे के कई नाम हैं ; अपामार्ग , चिरचटा , लटजीरा , ओले कांटे आदि .  यह हर जगह यूं ही उगा हुआ दिख जाता है .  इसकी हरी डंडी भी हो सकती है और लाल भी . यह वर्षा ऋतु में अधिक दिखाई देता है . नन्हे नन्हे फूलों की लब्बी सी डंडी पर ढेरों कांटे होते हैं .
                                     संस्कृत में एक श्लोक है , जिसमें कहा गया है कि सबसे श्रेष्ठ अपामार्ग की दातुन होती है ; उसके बाद बबूल और नीम की . इसकी दातुन रोज़ करने से पायरिया तक ठीक हो जाता है . पायरिया में इसकी जड़ की दातुन करनी चाहिए . दांत में cavity है तो इसके पत्तों का रस रुई में लगाकर cavity में रख दें . cavity भर जाती है . 
                        अपामार्ग के पत्तों का रस दो बूँद कान में डालने पर कान के दर्द से छुटकारा मिलता है . आँख के लिए इसकी जड़ को धोकर गुलाबजल में घिसकर अंजन कर सकते हैं . अगर मुंह में छाले हो गए हैं तो , इसकी पत्तियां मुंह में चबाएं और थूक दें .
                                     भयानक भूख लग रही हो और उसे कम करना हो तो , इसके 4-5 ग्राम चावल लेकर आधा किलो दूध में पकाएं . यह खीर सवेरे-सवेरे खानी है ; केवल तीन दिन तक .  इससे भूख कम लगेगी . सिर में दर्द है या migraine है , तो इसके 3 ग्राम बीज का पावडर सूंघने से ही वह ठीक हो जाएगा . अगर uterus में सूजन है तो इसके पत्तों का रस लगायें और इसके पत्तों के काढ़े से धोएं .
                                                            गर्भ धारण नहीं होता तो , periods के शुरू के चार दिनों तक इसकी दस ग्राम जड़ को 200 ग्राम दूध में पकाकर लें . यह खाली पेट लेना है ; केवल पहले, दूसरे और तीसरे महीने तक.  फिर अच्छा परिणाम सामने आ सकता है . और अगर delivery होने वाली है तो इसकी जड़ कमर में बाँध लें ; नाभि की तरफ . Delivery होते ही तुरंत इसे हटा दें .    इससे आसानी रहेगी .
               White discharge की शिकायत है तो , इसके पत्तीं का 1-2 ग्राम रस एक कप पानी में डालकर , कुछ दिन लें . Kidney की समस्या है तो इसके पचांग का काढ़ा लें . त्वचा में खाज - खुजली होने पर इसके पत्ते पानी में उबालकर स्नान करें .
                                                   इसकी छार या क्षार बहुत ही उपयोगी है . इसकी छाल, जड़ आदि को जलाकर पानी में ड़ाल दें . बाद में ऊपर का सब कुछ निथारकर फेंक दें . नीचे जो सफ़ेद सा पावडर बच जाता है ; उसे अपामार्ग की छार या क्षार बोलते हैं  . खांसी होने पर आधा ग्राम क्षार शहद के साथ चाटें . खांसी में इसके पंचांग की भस्म भी एक ग्राम शहद के साथ चाट सकते हैं . कैंसर में भी इसका क्षार बहुत उपयोगी है . अगर kidney में stone हैं , तो इसका आधा ग्राम क्षार पानी के साथ ले सकते हैं . 
          कई आयुर्वेदिक औषधियों में आपको अपामार्ग एक घटक के रूप में दिखाई देगा . यह वही  अपामार्ग है .
              

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