Friday, October 7, 2011

श्रीकृष्ण का मनभावन ; कदम्ब !

कदम्ब के पेड़ का नाम लेते ही श्रीकृष्ण की याद आ जाती है . इस वृक्ष के नीचे ही वे बांसुरी बजाया करते थे . यह वृक्ष जहरशामक होता है . किसी भी दवाई से एलर्जी हो  जाए या किसी प्रकार का ज़हरीला असर हो जाए तो इसकी सूखी छाल, फल व पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर 10 ग्राम मिश्रण को 400 ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनायें . इसे सवेरे शाम ले लें .
         
             इसकी छाल और पत्तियों को उबालकर उसके पानी से धोने पर घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं . घाव पर इसकी पत्तियों का रस भी लगा सकते हैं . मुंह में छाले होने पर इसके पत्तों को चबाकर लार बाहर जाने दें .इसके फलों के छाया में सूखे हुए टुकड़ों का पावडर सवेरे शाम खाने से छाले तो ठीक होते ही हैं , साथ ही कोई कीड़ा मकोड़ा लड़ जाए तो उसका ज़हर भी उतर जाता है . पैरों में सूजन या चोट हो तो , इसके छाल व पत्तों को उबालें . इसमें नमक मिलाकर पैरों की सिकाई करें .इसके फलों  का पावडर शारीरिक दुर्बलता को दूर करता है .माताओं को दूध कम  आता हो तो कदम्ब  के  फल के पावडर के साथ शतावर (asparagus) का  पावडर भी लें .
                                   अगर बखर है तो इसके पेड़ की 5 ग्राम    अगर बुखार है तो इसके पेड़ की 5 ग्राम छाल में 4-5 तुलसी के पत्ते डालकर काढ़ा बनायें और कुछ दिन पी लें .अगर urine कम आ रहा है तो इसे लेने से यह समस्या हल हो जाती है ..
      जुलाई , अगस्त में इसके फूल आने पर पूरा वृक्ष ऐसे लगता है , मानो ढेर सारे पीले-पीले लड्डू इसमें लटका दिए गए हों !                                              



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