Thursday, October 27, 2011

गूलर (cluster fig)

गूलर के फल कुछ कुछ अंजीर से मिलते जुलते से होते हैं . इसके अंदर शरीर के toxins खत्म करने की क्षमता है . इसकी कोमल पत्तियों का रस या पावडर लेने से शरीर का विष समाप्त होता है . अगर इसकी पत्तियों का रस और मिश्री मिलाकर प्रात: काल लिया जाए तो शरीर स्वस्थ रहता है और कमजोरी नहीं आती . संस्कृत में इस वृक्ष के बारे में कहा गया है, " वृद्धो अपि तरुणायते " .  शरीर में शक्ति लाने के लिए इसका फल सुखाकर उसमें विदारीकंद , अश्वगंधा , शतावर और मिश्री मिलाकर रखें . इस पावडर को एक एक चम्मच सवेरे शाम लें .
                                           हाथों पैरों में जलन होती हो तो इसकी कोमल पत्तियाँ और मिश्री मिलाकर लें . शीत पित्त (पित्ती उछलना ) हो तो इसकी कोमल पत्तियों को पीसकर 10-15 ग्राम रस सवेरे खाली पेट लें . या इसके कच्चे फल सुखाकर उसका चूर्ण सवेरे शाम लें . अगर भस्मक रोग (ज्यादा खाने का रोग) हो तो दिन में तीन बार यह चूर्ण लें. Loose  motions की समस्या हो तो इसकी कोमल पत्तियों का 10-15 ग्राम रस लें . पेट में दर्द हो तो इसके फल का पावडर +अजवायन +सेंधा नमक मिलाकर लें . पेट के मरोड़े , दर्द , colitis ,infections या amoebisis की समस्या हो तो इसके फलों की सब्जी खाएं . 
                        मुंह में छाले हो गए हों तो इसकी 100 ग्राम छाल कूटकर काढ़ा बनाकर कुल्ले करें . कहीं भी सूजन या दर्द हो तो इसकी छाल पीसकर लगा लो . फोड़ा फुंसी बार बार हो रहा हो तो भी इसकी छाल पीसकर लगा लो . चेचक के दाग ठीक नहीं हो रहे हों तो इसके पत्तों के लाल दानों को बकरी के दूध में घिसकर लगा लो . अगर pimples ठीक नहीं हो रहे हों तो उन पर इसकी छाल की पेस्ट लगा लो . शरीर पर जले हुए के निशान ठीक नहीं हो रहे हों तो इसके फल को घिसकर उसमें शहद मिलाकर जले हुए स्थान पर लगायें . त्वचा जलने से मांसपेशी कमज़ोर हो गई हो और खिंचाव पड़ता हो तो ,इसकी छाल और पत्तियां पीसकर लेप करें . अगर भगन्दर या piles के मस्से हो गए हों तो इसके दूध (टहनी तोड़ने पर दूध निकलता है ) को रुई में भिगोकर लगा दें . वैरागी अपनी जटाओं को shape में रखने के लिए भी इसी का दूध इस्तेमाल करते हैं .
                           कहीं से भी रक्त जाता हो तो इसकी पत्तियों का रस मिश्री के साथ लें . गर्भावस्था में गर्भपात होने का डर हो तो इसकी दूध की 2-3 बूँद बताशे में डालकर खाएं या फिर इसकी कोमल पत्तियों का रस लें . इसका प्रयोग निरापद है .  

                                   
                                   

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