Friday, October 14, 2011

देसी गुलाब(rose)

गुलाब का फूल किसे पसंद न होगा ? फूलों का राजा है गुलाब ! देसी गुलाब की खुशबू सूंघ लो तो उसे नाक के पास से हटाने का भी मन नहीं करता . केवल खुशबू ही नहीं , यह विभिन्न रोगों के उपचार की क्षमता भी अपने अंदर समाये है . Stress हो या नींद न आती हो , या फिर मानसिक थकावट हो ; सिरहाने के पास इसका गुदस्ता रखकर सोयें . फिर देखिये परिणाम ! इसके फूल की पंखुडियां तकिये के नीचे रखकर सोयें . इसका पौधा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को भगाता है . 
     चन्दन को गुलाबजल में घिसकर माथे पर लगाने से मस्तिष्क को आराम मिलता है . Migraine तक अच्छा होता है . गुलाब का अर्क आँखों के लिए बहुत अच्छा होता है . इसके फूल चबाने से मसूढ़े और दांत अच्छे रहते हैं . कब्ज़ है तो एक भाग त्रिफला और आधा भाग फूल का पावडर मिलाकर लें . 
      गुलकंद लेने से उदर रोग , अल्सर , acidity , कब्ज़ , infections और आँखों की रोशनी ठीक रहती है . गुलकंद बनाने का तरीका आसान है . एक किलो देसी गुलाब की पंखुड़ियों में दो किलो चीनी मिलाकर अच्छी तरह रगड़ लें. इसे कांच के बर्तन में डालकर दो- चार दिन धुप दिखा दें . बस बन गया गुलकंद !
               हृदय रोग में अर्जुन की छाल और देसी गुलाब मिलाकर उबालें और पी लें . हृदय की धडकन अधिक हो तो इसकी सूखी पंखुडियां उबालकर पीयें .    आँतों में घाव हो तो 100 ग्राम मुलेटी +50 ग्राम सौंफ +50 ग्राम गुलाब की पंखुडियाँ ; तीनों को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें . इसका 100 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .
                  अगर घाव है तो इसकी जड़ घिसकर लगायें . कहीं पर सूजन हो तो इसकी पत्तियों को पीसकर लेप लगायें .   

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