Thursday, January 26, 2012

संवेदनशील व्यक्तित्व : राजीव सर !

बहुमुखी प्रतिभाओं के धनी युवा अध्यापक राजीव सर ने विवाह के विषय में सोचा तक नहीं. कारण था : निज स्वतंत्रता को कायम रखना  और समाज के लिए परोपकारी बनना . केवल गणित में ही नहीं , जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों पर वे अपनी पकड़ रखते हैं . जिस विषय का भी उन्हें ज्ञान है ; गहराई और परिपक्वता लिए हुए है . विद्यालय के अध्यापकगण में तो वे लोकप्रिय हैं ही : विद्यार्थियों के भी मन में बसे हुए हैं . एक बार उन्हें मंच पर बुला लिया जाए तो विद्यार्थी चहक उठते हैं . जोरदार किस्से अपने एक विशेष अंदाज़ में प्रस्तुत करते हुए वे सबका मन मोह लेते हैं . 
                        कोई भी विद्यार्थी , कभी भी , उनसे गणित की समस्याएं समझ सकता है . यहाँ तक कि विद्यालय की छुट्टी के बाद भी, वे बच्चों को अतिरिक्त समय देने के लिए तैयार रहते हैं . कोई भी विद्यालय संबंधी कार्य उनसे बिना सोचे समझे करने के लिए कहा जा सकता है . आठों के आठ कालांश भी लगा दिए जाएँ तो कोई परवाह नहीं . कभी भी शिकायत नहीं करते . 
                    उनका संवेदनशील व्यक्तित्व है; ये सभी जानते है . परेशानी में उनसे मदद माँगी जाए तो उन पर पूरा विश्वास किया जा सकता है . मना तो वे कर ही नहीं सकते. केवल इंसानों के लिए ही नहीं ; हर प्राणीमात्र के लिए वे मदद को तत्पर रहते है .   एक मूक और निरीह , कातर श्वानशावक की किस प्रकार उन्होंने मदद की ; यह सुनकर मैं अचम्भित रह गई .  यह बात किसी आम आदमी में नहीं मिल सकती . 
                                   सर्दियों की रात ग्यारह  बजे दूरदर्शन पर  प्रोग्राम देखते   हुए,  उन्हें कुत्ते की अजीब सी आवाज़ सुनाई दी . पहले तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया   . लेकिन वह आवाज़ निरन्तर आ रही थी . उन्होंने अनुभव किया कि वह आवाज दर्द भरी है; तो उनसे रहा न गया . बाहर जाकर देखा, तो कोई नहीं दिख रहा था , लेकिन आवाज़ तो आ रही थी . उन्होंने आवाज़ की दिशा में ही चलना शुरू किया . बड़े नाले के भीतर से आवाज़ आ रही थी . पर वहां कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था . टार्च से रोशनी अन्दर डालकर जब उन्होंने अन्दर झाँका, तो एक जूट की बोरी  पडी थी;  जिसमें से ये आवाजें आ रही थी . बड़ी ही कठिनाई से, उन्होंने बंद बोरी को बाहर निकाला . उसी में से आवाजें आ  रही थी . उन्होंने बोरी का मुंह खोला . एक नन्हा सा पिल्ला अन्दर दुबका हुआ, कराह रहा था . राजीव सर ने बोरी को उलट दिया तो वह बाहर निकला . किसी ने निर्दयतापूर्वक, उस मासूम को बोरी में बांधकर, नाले में फेंक दिया था . स्वतंत्र  होकर पिल्ले की जान में जान आई और उसका कराहना बंद  हुआ . राजीव सर भी निश्चिन्त होकर  घर वापिस आ गए .

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