Tuesday, January 17, 2012

धातकी (woodfordia)


 
धातकी के फूल लालिमा लिए हुए होता है .धातकी या धाय के पौधे के अधिकतर फूल ही प्रयोग में लाये जाते हैं . औषधि निर्माण में तरल औषधियों में(आरिष्ट और आसव )में  इसके फूल को अवश्य ही डाला जाता है . पेट के रोगों के लिए यह बहुत ही अच्छा है . थोड़ी सी कोमल पत्तियों को कूटकर  रस निकालकर दस्त या आंव होने पर ले सकते हैं. नकसीर के लिए इसकी कोमल पत्तियों के रस की बूँदें नाक में ड़ाल दें . इसकी पत्तियों के रस में मिश्री मिलाकर लेने से हर प्रकार की bleeding बंद हो जाती है . नकसीर की समस्या तो इस रस  के शर्बत को लेने से हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है .
              दांतों के लिए इसके फूल और पत्ते लेकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ले करें . lever या spleen के लिए फूल और पत्तियों को काढ़ा बनाकर ले लें . थोडा कुटकी का पावडर भी थोडा मिला लें . मिश्री या शहद भी मिला सकते हैं |
                                                                    अतिसार में या अधिक मरोड़े और ऐंठन हो तो , इसके फूलों का 2 ग्राम पावडर प्रात: सायं छाछ के साथ ले लें . पेट के रोगों के लिए इसका प्रयोग अवश्य होता है |
                                       अगर संतानप्राप्ति न हो पा रही हो तब भी यह पेड़ लाभदायक है ।   नील कमल का फूल और धाय का फूल बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री के साथ कुछ समय लेने से गर्भस्थापन  होने में आसानी रहती है |
                                                    रक्त प्रदर या श्वेत प्रदर के लिए पठानी लोद. धाय के फूल और चन्दन बराबर मात्रा में मिलाकर उसमें मिश्री मिलाकर लें .  अगर हाथ पैरों में जलन हो तो इसकी 2-3 ग्राम पत्तियों का रस ले लें . गुलाबजल में इसके फूलों को पीसकर लगायें .
                                अगर बुखार हो तो इसका फूल +2-3 पत्ते नीम +पित्तपापडा (धनिए से कुछ बारीक पत्तों वाला पौधा ) ; इन सबका काढ़ा बनाकर पीयें . या फिर कुछ दिन इसके ताज़े फूलों का शरबत पीयें . Ascites या जलोदर होने पर इसके फूल व् पत्तियों का काढ़ा लें , या केवल फूलों का शर्बत लें . इसके सूखे फूलों का पावडर भी लिया जा सकता है . इससे पेट के रोग ठीक होते हैं और दिमाग को ताकत मिलती है . यह पौष्टिक तो होता ही है . अगर कहीं जल जाएँ तो , इसके पत्ते पीसकर लेप कर लें . इससे दाह तो खत्म होगी ही , फफोले या निशान भी नहीं पड़ेंगे .
                     घाव होने पर इसकी टहनी की छाल चन्दन की तरह घिसकर लगा दें . इससे खून का बहना रुकेगा और जख्म जल्दी भरेगा . फोड़ा या नासूर होने पर भी , इसी पेस्ट को फोड़े पर लगा लें . फोड़ा जल्दी ठीक होगा . बच्चों के नये दांत निकलते समय इसके फूलों में सुहागे की खील शहद के साथ मिलाकर मसूढ़ों पर मालिश की जाए तो बच्चों को दर्द भी नहीं होगा और दस्त भी नहीं लगेंगे .
                            पहाड़ों की तलहटी में पाया जाने वाले इस पौधे का फूल वास्तव में अनेक बीमारियों के लिए रामबाण है .



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