Sunday, February 12, 2012

. निराला फेरीवाला !

शाम को पांच बजे के बाद जब हम खेलने के लिए गली में निकलते , तो आवाज़ आती ,"चना जोर गरम !चना जोर गरम !!" . एक सौम्य व्यक्तित्व वाला स्वस्थ व्यक्ति सफ़ेद टोपी सिर पर लगाये , कंधे पर बड़ी सी पोटली लटकाए , मंदी चाल से चलता हुआ, गली के अन्दर आता . हम सभी उसके चारों और घेरा लगा लेते . कोई इकन्नी के चने खरीदता , तो कोई दो आने की मीठी खील . उसके पास फीके चने भी होते थे और हरे हरे नमकीन चने भी . मीठी खील के अतिरिक्त वह परमल (मक्की के दाने जो कि मुरमुरे की तरह भुने हुए होते हैं ) भी रखता था और मूंगफली भी  . उसके पास, पोटली में ही, एक छोटी तराजू और बाट भी होते थे .
                                                     कोई बच्चा चने खरीदता तो वह तुरंत तराजू में चने तौलता और तराजू के पलड़े में ही चने फटक कर , फूंक मार कर , छिलके उड़ा देता . उसके बाद एक कागज़ के लिफाफे में चने डालकर ,बड़े प्यार से बच्चे के हाथ में थमा देता . बच्चे उससे चीज़ें खरीदकर बहुत खुश होते थे . मंगलवार को तो बड़े मज़े आते थे . जो भी बच्चा उस फेरीवाले को कहता ,"सीताराम, राम ! राम !!"  ; उस बच्चे को ही थोड़ी सी मीठी खील , प्रसाद के तौर पर वह फेरीवाला देता . मंगलवार को तो उसके आते ही कई नन्ही हथेलियाँ उसके सामने होती . सभी बच्चे बोल रहे होते ,"सीताराम , राम ! राम !!". वह बहुत खुश होता;  बच्चों के मुंह से यह सुनकर , और मीठी खील बांटकर !
                                    बहुत से दिन बीत गए . एक दिन वह नहीं आया . दूसरा दिन बीता और फिर तीसरा दिन . उसके बाद वह आया ही नहीं . हम बच्चे तो धीरे-धीरे उसे भूल ही गये थे . एक दिन मुझे उसके बारे में पता चला कि उसे दिल का दौरा पड़ा था ; जिससे उसकी आकस्मिक मृत्यु हो गई . बड़ा दु:ख हुआ यह जानकर ! यह भी पता चला कि वह दिन में बिरला मिल में मजदूर के तौर पर कार्यरत था . बाद में शाम को वह चने आदि बेचकर अतिरिक्त आमदनी करता था . आज के समय में तो शायद किसी भी फेरीवाले का ऐसा व्यक्तित्व पाया जाना  कठिन है . उस समय में भी वह निराला ही व्यक्ति था . अब भी मुझे वह घनी मूछोंवाला, रौबीला , आत्मविश्वास और आनन्द से दमकता मुखमंडल ; भुलाए  नहीं भूलता !

2 comments:

  1. रोज़गार के लिये शायद न जाने कितने समय से अपने घर परिवार से दूर भी होगा। कुछ ऐसे ही किस्से बरेली के एक वसाहीन दही वाले और एक आइस्क्रीम वाले बाबा के याद हैं।

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  2. मुझे प्रसन्नता है कि हमारे देश में संवेदनशीलता विद्यमान है . धन्यवाद !

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