Saturday, February 4, 2012

अमलतास (purging cassia)

 
अमलतास के नाम से कौन परिचित न होगा ? इसके सोने जैसे पीले पुष्प होने के कारण इसे हेमपुष्पा भी कहा जाता है . इसकी मोटी फलियों के बीच का गूदा मीठा होता है . यह कब्ज़ के लिए , पेट को ठीक रखने के लिए और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए अति उत्तम है . अगर पेट को और पाचन तंत्र को ठीक रखना है तो अमलतास की पकी फलियों का 15-20 ग्राम गूदा +8-10 मुनक्का रात को भिगोकर रखें . सुबह इसे मसलकर, छानकर , खाली पेट पीयें . यह इतना सौम्य और मृदु विरेचक है कि छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है .  अगर 2-3 महीने के बच्चे के पेट में अफारा हो जाए तो , अमलतास के गूदे में थोडा हींग मिलाकर नाभि के आसपास लगा दें . 
                           आँतों में घाव , सूजन या संक्रमण हो , acidity की समस्या हो या ulcerative colitis की समस्या हो तो , इसके 15-20 ग्राम गूदे में , 1-2 ग्राम धनिया मिलाकर , रात को मिटटी के बर्तन में भिगो कर रख दें . सवेरे खाली पेट ऊपर का पानी निथारकर पी लें . धनिया अधिक न मिलाएं . इससे ठण्ड लग सकती है . सर्दी-जुकाम हो सकता है . मुंह में छाले हों , घाव हों या स्वर भंग की समस्या हो तो , अमलतास की पत्तियाँ उबालकर , नमक मिलाकर , गरारे करें . श्वास रोगों में , इसके गूदे में काली मिर्च और तुलसी के पत्ते पकाकर छानकर , गर्म गर्म पीयें . White discharge की समस्या में या यौन दुर्बलता होने पर अमलतास के फली का 15-20 ग्राम गूदा रात को भिगो दें व सवेरे मिश्री या शहद मिलाकर लें . Delivery के समय इसकी 20-30 ग्राम फली को कूटकर 400 ग्राम पानी में पकाएं . जब रह जाए 100 ग्राम ; तो छानकर सुविधापूर्वक 1-2 बार ले लें . इससे delivery के समय आसानी हो जाती है . 
                                          धातुक्षीणता या दुर्बलता होने पर इसकी फलियों के बीजों को भूनकर , पावडर करके , बराबर मिश्री मिला लें . इसे सवेरे शाम एक -एक ग्राम ले सकते हैं . बुखार होने पर , 10 ग्राम अमलतास  का गूदा +2 ग्राम बहेड़ा + 2 ग्राम नागरमोथा +1 ग्राम कुटकी ; ये सभी मिलाकर , 400 ग्राम पानी में पकाएं . जब रह जाए 100 ग्राम , तो छानकर पीयें . यह सवेरे शाम लेने से बुखार तो ठीक होता ही है , साथ ही लीवर भी ठीक रहता है . सारा body system भी ठीक हो जाता है . इससे बेचैनी भी दूर होती है .
                                           अमलतास रक्तशोधक भी है . इसकी छाल को चन्दन की तरह घिसकर कील मुंहासों पर लगाया जा सकता है . इसे लगाने से चकत्ते भी ठीक होते हैं . इसके फूलों का गुलकंद शीतल , सौम्य एवं स्वास्थ्यवर्धक होता है . यह कफ रोग , पेट के रोगों में लाभकारी होता है . इसके फूलों की चटनी और सब्जी पेट के रोगों को ठीक करती है . इसके फूलों को सुखाकर उनका पावडर करके , सवेरे शाम लिया जाए , तो पेट ठीक रहता है , पाचन ठीक रहता है . 
                                 यह पवित्र वृक्ष माना जाता है . इसे घर के आस पास अवश्य लगाना चाहिए . इससे घर में शुभता रहेगी . यहाँ तक कि केवल इसकी फलियों को ही घर में रखा जाए , तो भी घर में शुभता रहती है .
                       
                                     

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