Sunday, April 15, 2012

दूध कम होने पर .........

अगर नवजात शिशु के लिए दूध कम पड़ता है और बच्चा भूखा रह जाता है, तो माता शतावर का चूर्ण 1-2 ग्राम सवेरे शाम दूध के साथ ले ले . इससे पूरा दूध आना प्रारम्भ हो जाता है . कुछ और जड़ी बूटियाँ भी इसमें सहायक हैं :
~ रुद्रवंती    रुद्रवन्ती + शतावर +अश्वगंधा मिलाकर 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सवेरे शाम लेने से लाभ होता है ।
~ कदम्ब     कदम्ब के फल का पावडर और शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर लें ।
~ करेला      करेले की सब्जी रोज खाने से दूध भी पूरा आता है और माता को arthritis भी होने की सम्भावना से मुक्ति मिलती है ।
~ पिप्पली     2 ग्राम शतावर और 1 ग्राम पिप्पली का पावडर नियमित रूप से लेने से दूध भी खूब आता है और बच्चा भी हृष्ट पुष्ट होता है ।नवप्रसूता माताएं तीन ग्राम शतावर +एक ग्राम पिप्पली का पावडर दूध बढ़ाने के लिए सुबह शाम ले सकती हैं . इससे शरीर भी जल्द  ही सामान्य स्थिति में आ जाएगा .
~  शीशम        शीशम के पत्तों को पीसकर उसकी लुगदी स्तन पर कुछ घंटे लगाने से दूध अधिक आना शुरू हो जाता है ।  पशुओं के थनों में थनैला रोग भी इसके पत्तों की लुगदी लगाने से समाप्त हो जाता है। 
~  मुलेठी          मुलेठी और शतावर का पावडर,  दूध में पकाकर लेने से दूध खूब आता है और बच्चा भी तंदुरुस्त होता है । केवल मुलेठी के पावडर को दूध में पकाकर लेने से भी फायदा होता है ।  माताओं को दूध कम है तो इसकी जड़ के पावडर के साथ शतावर का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर सवेरे शाम एक एक चम्मच दूध के साथ लें । पशुओं का पेट ठीक रखना है या दूध बढ़ाना है तो उनके चारे में इसका पावडर 100 ग्राम मिला दें . पशु दूध तो अधिक मात्रा में देते ही हैं ; साथ ही उनका दूध भी औषधीय गुणयुक्त भी हो जाता है । 

~  सेमल (silk cotton tree )  ;  अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें ।  स्तन में शिथिलता हो तो  इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें । 

          पशुओं का भी अगर दूध कम आए या थनैला नाम का रोग हो जाए तो उन्हें 50-60 ग्राम शतावर की जड़ का पावडर दिया जा सकता है । इससे रोग भी ठीक होगा और दूध भी अधिक आएगा । अगर शीशम के पत्तों की लुगदी को पशुओं के थनों पर लगाकर 7-8 घंटे के लिए छोड़ दिया जाए , तो थनैला रोग तो ठीक होता ही है दूध की मात्रा भी बढ़ जाती है ।
100 ग्राम मुलेठी की जड़  पशुओं को चारे के साथ खिला दी जाए तो उनके पेट की बीमारियाँ खत्म होती हैं और उनका दूध बहुत बढ़ जाता है । इस दूध को पीने से इंसानों की बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं ।

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