Sunday, April 8, 2012

हृदय (heart)

 आजकल की दौड़ भाग भरी जीवन पद्धति ने जीवन को तनाव से परिपूर्ण कर दिया है . इसका परिणाम है हृदय से सम्बंधित तरह तरह की बीमारियाँ जैसे दिल का बड़ा होना, एंजाइना , हृदय का अवरुद्ध होना आदि . Ejection Fraction 60 के करीब होना चाहिए लेकिन अवरुद्धता होने के कारण यह  20-25 तक  ही रह जाता है .
                                   इसके लिए सभी प्राणायाम धीरे धीरे करने चाहिएँ ; विशेष तौर पर भर्स्तिका और भ्रामरी प्राणायाम .  हथेली की छोटी अंगुली के नीचे वाली रेखा पर acupressure करना चाहिए .
लौकी ;           सुबह खाली पेट ,  लौकी में 7 पत्ते तुलसी और 7 पत्ते पुदीने के साथ तीन चार काली मिर्च मिलाकर जूस पीने से अद्भुत लाभ होता है . लौकी कडवी बिलकुल नहीं होनी चाहिए . सर्दियों में जूस को थोडा गुनगुना कर के लिया जा सकता है .
 अर्जुन ;      अर्जुन की छाल दो तीन ग्राम की मात्रा में लेकर उसे एक गिलास पानी में उबालें . जब आधा गिलास रह जाए तो थोडा दूध मिलाकर चाय की तरह पी ले. शुरू में थोडा स्वाद शायद अच्छा न भी लगे , फिर भी इसका लगातार सेवन करने से अच्छे परिणाम सामने आते हैं . अर्जुन की छाल के पावडर में सूखी देसी गुलाब की पंखुडियां भी मिलाई जा सकती हैं .
                                  अर्जुनारिष्ट 4-4 चम्मच खाने के बाद लिया जा सकता है . हृदयामृत 2-2 गोली सुबह शाम ले सकते हैं .
                     अधिक समस्या है तो संगेयासव पिष्टी 5 ग्राम +अकीक पिष्टी 5 ग्राम +मोती पिष्टी 2-4 ग्राम +योगेन्द्र रस 1-2 ग्राम ;  इन सभी को मिलाकर 60 पुडिया बना लें . एक एक पुडिया सवेरे शाम शहद के साथ ले लें .  

इलायची  ;    बड़ी इलायची के दानों का पावडर अर्जुन की छाल  के काढ़े में डालकर पीने से एंजाइना , हृदय की समस्या में भी लाभ होता है । 


                                 यदि 80 प्रतिशत तक भी blockage हो गई है ; तब भी इन उपायों को अपनाने से और शांत मन से आस्थावान होते हुए निरंतर प्राणायाम करने से काफी फायदा होते देखा गया है ।


              

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