Friday, September 7, 2012

तुझे स्वयम को गढ़ना होगा !

मलिन पंक से ऊपर उठकर
पंकज सरिख विकसना होगा
महाकाल की ज्वालाओं में
धधक धधक कर जलना होगा
तप तप कर उज्ज्वल आभा ले
कुंदन सरिस निखरना होगा
धीरज की छैनी से छिलकर
अनुपम रूप निरखना होगा
भूली सी प्रतिभाओं को भी
नित्य प्रकाशित करना होगा
सरस्वती के वरद हस्त को
शिरोधार्य अब करना होगा
तारों की कोमल छाया में
मन में शुचिता भरना होगा
निर्मल मन  उद्दीप्त हो उठे
जग में जगमग करना होगा
धूलि धूसरित अनगढ़ हीरे !
तुझे स्वयम को गढ़ना होगा


Thursday, September 6, 2012

मूली (radish)


 
मूली और उसके हरे -हरे पत्ते पेट को ठीक रखने के लिए बहुत अच्छे होते हैं । हमेशा पानी से अच्छी तरह धोकर ही मूली या उसके पत्ते खाने चाहिए ।
          अगर कान में दर्द है या साँय साँय की आवाज़ आती है तो 200 ग्राम मूली के पत्तों में 50 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं । जब केवल तेल रह जाए तो इसे शीशी में भरकर रख लें । इस तेल की बूँदें कान में डालने से कान की पीड़ा से छुटकारा मिलता है ।
          आँखों में जाला या लालिमा है तो मूली के स्वच्छ रस में कुछ पानी मिलाकर आँखे डुबोकर धोएं ।
    मूली क्षार श्वास के रोगों व खांसी की अचूक दवा है । इसे बनाने के लिए मूली के टुकड़े करके उन्हें छाया में सुखा लें । फिर इनको जलाकर राख बना लें । इस राख में 8 गुना पानी मिलाकर 6-7 घंटे रख दें । बीच बीच में हिलाते रहें ।इसके बाद ऊपर से निथार  दें । नीचे जो मटमैला सा अवशेष बचेगा , वही मूली क्षार है । इसे सुखाकर रख लें । यह श्वास रोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है . अगर छोटे बच्चे को खांसी है तो 100 मि0 ग्रा0 पावडर को शहद में मिलाकर चटाएं । बड़ा व्यक्ति 1\2 ग्राम पावडर शहद के साथ ले सकता है ।
                पथरी होने पर मूली क्षार सवेरे सवेरे लें . Kidney stone होने पर मूली का रस एक कप की मात्रा में सुबह सुबह  खाली पेट ले लें । इससे आगे चलकर दोबारा पथरी बनने की संभावना भी कम हो जाएगी । पीलिया या jaundice की बीमारी के लिए मूली अमृत है । मूली का रस सवेरे सवेरे एक कप पी लें । दिन में मूली की सब्जी खाएं ।
                  अगर acidity की समस्या  है तो मूली के पत्तों का सेवन किया जा सकता है । मूली का रस भी इस समस्या से मुक्ति दिलाता है ।
  liver या spleen बढ़े हुए हों , पेट दर्द , या पेट में अफारा हो तो मूली  के चार टुकड़े कर लें । इस के ऊपर 3-4 ग्राम नौशादर बुरक लें । रात भर ऐसे ही रहने दें । सवेरे मूली के टुकड़ों के साथ थोडा पानी भी दिखाई देगा । खाली पेट पहले इस पानी को पी लें । फिर मूली के टुकड़े चबा चबाकर खाएं । बच्चों के लिए नौशादर की मात्रा कम रखें । यह कुछ समय तक ही करना है । इससे शत प्रतिशत लाभ मिलता है । यह संतों द्वारा अनुभूत गोपनीय प्रयोग है और पूरी तरह प्रमाणिक है ।
                            मूली को प्रात:काल सोना , दिन के समय चाँदी , और रात को मल के समान माना गया है । रात को मूली का सेवन भूल कर  भी नहीं करना चाहिए । यह भी कहा जाता है कि  मूली खाकर जंगल जाना चाहिए और अदरक खाकर सभा में बैठना चाहिए । अर्थात मूली के सेवन के बाद थोडा अदरक का टुकड़ा खा लिया जाए तो मूली की डकार नहीं आती और मूली भली भाँति पच भी जाती है । मूली को भोजन से एकदम पहले नहीं लेना चाहिए । यह अपचन का कारण बन सकती है । नाश्ते से आधा घंटा पहले मूली खाई जा सकती है । या फिर आधा खाना खा चुकने के बाद मूली खाएँ । इस प्रकार मूली अधिक लाभकारी रहेगी । मूली खाने के बाद दूध या दही नहीं खाना चाहिए ।
                इसके बीजों के पावडर में मिश्री मिलाकर एक चम्मच सवेरे दूध के साथ लेने से शक्ति में वृद्धि होती है । इसकी सूखी पत्तियों का पावडर सवेरे लेने से बवासीर और अफारे में आराम आता है । पेट के रोग ठीक करने हों तो मूली को काली मिर्च और काला नमक लगाकर खाएँ