Monday, February 11, 2013

स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू बुखार में फेफड़े कमजोर हो जाते हैं । इससे खांसी , बुखार, bleeding  आदि होते हैं।
             6-7 इंच लम्बी ताज़ी  गिलोय की डंडी ( या सूखी गिलोय का पावडर 5-6 ग्राम ) +तुलसी के 5-6 पत्ते +4-5  काली मिर्च +3-4 लौंग +2-3 ग्राम हल्दी +3-4 ग्राम मुलेठी ; इन सबको मिलाकर काढ़ा बनाकर, सवेरे शाम लेने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और  बुखार भी ठीक होता है ।
                          गले और खांसी को ठीक करने के लिए काली मिर्च और बादाम चबाकर चूसते रहना चाहिए । इससे फेफड़ों को भी शक्ति मिलती है । काली मिर्च, मुलेठी और मिश्री चूसने से भी गला ठीक रहता है ।
            स्वाइन फ्लू होने पर कपालभाति प्राणायाम बिलकुल न करें । इसको करने से कमजोर हुए फेफड़ों की कोमल रक्तवाहिनी नलिकाएं फट सकती हैं ।
                                        भर्स्तिका(deep breathing ) प्राणायाम करें । बहुत धीरे धीरे श्वास अंदर खींचें और धीरे धीरे ही श्वास बाहर छोड़ें । अनुलोम विलोम प्राणायाम धीरे धीरे करें । शीतली और सीत्कारी प्राणायाम करने से bleeding की समस्या नहीं होगी और बुखार भी कम होगा ।
                                        शीतली प्राणायाम के लिए जीभ को गोल करते हुए मुंह से बाहर निकालें और धीरे धीरे हवा अंदर लें । फिर नाक के द्वारा वायु बाहर निकल दें । इससे  ठंडक का आभास होगा । यह प्राणायाम 5-7 बार कर सकते हैं ।
                                सीत्कारी प्राणायाम के लिए दांतों को भींचकर, होठों को खोल लें । तत्पश्चात दांतों के बीच में से वायु को अंदर लें । फिर मुंह बंद करके नाक द्वारा वायु बाहर निकाल दें । ऐसा 5-7 बार करें । इससे भी ठंडक का आभास होगा ।

         शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए  अंजीर और मुनक्का का सेवन अवश्य करें । इससे स्वाइन फ्लू बुखार जल्दी ठीक होगा ।

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