Tuesday, April 22, 2014

हैप्पी बर्थडे टू यू !

बूँदी का रायता बना रही थी कि फोन की घंटी बज उठी । Titan कंपनी की तरफ से फोन आया था । ऋचा ने Titan कंपनी से अपना चश्मा बनवाया था । इसीलिए वे ऋचा के जन्मदिवस पर केक , मोमबत्तियाँ वगैरा लाकर  उसका जन्मदिवस हमारे घर पर ही मनाना चाहते थे । इसके लिए वे मेरी स्वीकृति माँग रहे थे ; जो कि मैंने सहर्ष दे भी दी ।
           बात यह थी कि ऋचा कानपुर के मेडिकल  विश्वविद्यालय में वार्षिक निरीक्षण हेतु पिछले तीन दिन से गई हुई थी । आज उसका जन्मदिन था तो मैं उसकी पसंद का भोजन तैयार करने में व्यस्त थी । उत्कल रुद्रांश को संभाल रहे थे । वे तो स्वयं ऋचा के लिए केक लाना चाहते थे , परन्तु मैंने ही मना कर दिया था । अब मुफ्त में केक घर पर आ रहा था तो कोई कैसे मना करे ! करीब दो घंटे बाद ही ऋचा घर तक पहुंचने वाली थी ; तो कम्पनी वालों को भी मैंने दो घंटे बाद ही आने के लिए कह दिया । उत्कल को मैंने कहा कि ऋचा को एकदम यह बात नहीं बताएँगे । उसे surprise देंगे । उत्कल मुस्कुरा भर दिए ।
                ऋचा ने सोचा था कि घर में कदम रखते ही रुद्रांश एकदम उसकी गोद में आ जाएगा और फिर उसे छोड़ेगा ही नहीं ! परन्तु ऐसा नहीं हुआ । वह बड़े उत्साह से दरवाज़े के पास आकर चिल्लाने लगा ," मम्मी आ गई ! मम्मी आ गई !" फिर वह ऋचा को अपनी तरह तरह की बातें समझाने लगा । लेकिन ऋचा की गोद में नहीं आया । अमूमन दो वर्ष से कम उम्र का बच्चा माँ से तीन दिन अलग रहने के उपरान्त उसकी गोद में  ही आने का प्रयास करेगा । । पर रुद्रांश का व्यवहार कभी भी अकल्पनीय हो सकता है ।
                        ऋचा को खाने में बहुत मज़ा आया । मैंने उसे बताया कि अभी तो उसके जन्मदिवस पर एक और surprise है । वह हैरान होकर surprise के बारे में जानना ही चाहती थी कि  दरवाज़े की घंटी बजी । मैंने ऋचा को ही दरवाज़ा खोलने को कहा  । दरवाज़े पर दो व्यक्ति पूछ रहे थे कि  ऋचा कौन है ? जब ऋचा ने बताया कि वह ही ऋचा है, तो उन्होंने ऋचा को " हैप्पी बर्थडे " कहते हुए केक और बर्थडे कार्ड थमा दिया । उन्होंने बताया कि वे Titan कंपनी की ओर से आए हैं । ऋचा की खुशी का ठिकाना न था ! उसने उन्हें घर के अंदर आने को कहा ।
             उन्होंने मेज पर केक सजाया । उस पर मोमबत्तियाँ  जलाईं । फिर उन्होंने एक सुन्दर सा प्लास्टिक का चाकू रिचा के हाथ में केक काटने के लिए दिया । वे अपने साथ ही कैमरा भी लेकर आए थे । वे फोटो खींचने के लिए तैयार हो गए ।
                 नन्हा रुद्रांश सब कुछ पहले तो  देखता रहा । पर जैसे ही ऋचा के हाथ में चाकू पकड़ाया गया ; वह उतावला हो उठा । उसने ऋचा के हाथ से चाकू लेने का हठ किया । वह सफल भी हो गया ।  क्योंकि , अन्यथा उसके पास अपेक्षित वस्तु को हथियाने का एक बहुत अच्छा हथियार था ; रुदन ! यह हथियार किसी को भी स्वीकार्य नहीं था ।
                  नन्हें रुद्रांश ने पहले तो मोमबत्तियों पर जोर से फूँक मारी । मोमबत्तियाँ बुझने पर वह खूब खुश हुआ ।सबने बोला," हैप्पी बर्थडे टू यू !" उसे यह गाना सुनकर बहुत मज़ा आया । उसे पूरा हैप्पी बर्थडे का गाना नर्सरी की छोटी कविता की तरह लगा । उसने भी गाया ,"हैप्पी बर्थडे टू यू !" यह सुनकर सभी खूब हँसे । इतनी छोटी सी उम्र में वह किसी भी बोले गए वाक्य की हूबहू नकल कर लेता है ; यह एक विलक्षण बात है ।
                             फिर उसने अपनी मम्मी की सहायता से केक काटा । " मम्मी रुद्रांश केक खाएगा " जब उसने यह बोला , तो सब बहुत हँसे । उसने अपना नन्हा सा मुँह खोला तो ऋचा ने एक छोटा सा केक का टुकड़ा उसके मुंह में डाल  दिया । कंपनी के लोगों ने कैमरे में क्लिक किया तो रुद्रांश ने हँसने का अभिनय किया । उसकी जब भी फोटो खींची जाती है वह हंसने का अभिनय अवश्य करता है । फिर कैमरे में अपनी फोटो देखने का हठ भी करता है । लेकिन ये लोग आगन्तुक थे; अत: उसने  कैमरे में फोटो देखने के लिए ज़िद नहीं की ।
                 कम्पनी के लोगों को बाय  करने के बाद  वह केक की तरफ मुख़ातिब होते हुए बोला ," मम्मी ! रुद्रांश और केक खाएगा ।" केक खाते-खाते  वह बोल रहा था ," मम्मी हैप्पी बर्थडे सुनाओ ।"
                        रात को बिस्तर  लेटकर रुद्रांश देर तक बातें किया करता है या फिर नर्सरी की कविताएँ सुनाता रहता है । उस रात को वह जो कुछ  बोल रहा था , वह कुछ इस तरह था ; " हैप्पी बर्थडे टू यू ! मम्मी सुनाओ ..........  केक काटा था.................अंकल आए थे.………… केक मीठा मीठा था........................ चक्कू से काटा था………………मम्मी ! रुद्रांश केक खाएगा ………………मोमबत्ती जलाई ………………मम्मी ! हैप्पी बर्थडे सुनाओ..................
              इस तरह वह आधे या पौन घंटे तक बोल कर पता नहीं कब सो गया । उसके वार्तालाप के बीच में कुछ भी बोलना मुसीबत मोल लेना है । वह  सोचता है कि अभी सोने का समय नहीं हुआ है  और वह पूरी तरह चुस्त हो  जाता है । इसलिए भलाई इसमें है कि आँख मूंदकर चुपचाप सब सुनते रहो । अगर  हँसी आ गई तो वह सोने के बदले चुस्त हो उठेगा और फिर उसे सुलाना दूभर हो सकता है ।
                  उसके बाद से तो रुद्रांश को सबसे अच्छी नर्सरी की यही कविता लगती  है ।  अब वह अन्य कोई नर्सरी कविता बोलना कम पसंद करता है ।  तो रात को सोते समय भी यही  कविता सुनने को सबसे अधिक मिलती है ; यानि "हैप्पी बर्थडे टू यू ।"