Friday, November 7, 2014

kidney and urine related problems

Kidney और urine सम्बन्धी समस्याओं के निदान के लिए कुछ पेड़ पौधे हमारी मदद कर सकते हैं ;

मेंहदी ; मेंहदी के पत्ते और इसकी टहनी के छिलके को 3-4 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में पकाएं । जब वह आधा रह जाए तो छानकर पी लें । इससे बढ़ा हुआ E S R , बढ़े हुए pus cells आदि ठीक हो जाते हैं । urine ठीक प्रकार से आने लगता है ।

गेंदा ;   अगर मूत्र में जलन या संक्रमण है तो 5-10 ग्राम गेंदे की पत्तियों को पीसकर रस निकालें । उसे पानी के साथ मिलाकर पीयें । इसके फूल की पंखुड़ियाँ भी ली जा सकती हैं ।

खजूर ;  prostrate glands बढ़े हुए हों , या kidney की समस्या की शुरुआत हो , या और कोई भी मूत्र सम्बन्धी रोग हो तो रोज़ 4-5 खजूर चबा चबाकर खाएं । सर्दियों में दूध में पकाकर भी खा सकते हैं । गर्मियों में सूखे खजूर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर खाएं । ये बहुत पौष्टिक होते हैं ।
इनकी पत्तियाँ कूटकर , शर्बत बनाकर पीएँ । किडनी के रोगों में यह बहुत लाभप्रद है । इससे urine खुलकर आता है ।

पुनर्नवा ;  इसकी पत्तियां घोटकर , काली मिर्च मिलाकर , शर्बत की तरह पीया जाए तो urine सम्बन्धी समस्याएं ठीक होती हैं ।

शिरीष ;  जलन या दाह हो या बार  बार urine के लिए जाना पड़ता हो , तो इसकी कोमल पत्तियां पीसकर , पानी मिलाकर , पीएँ । इससे गर्मीजन्य , विषजन्य , विकार दूर होंगे । ये थोड़े दिन पीने से pus cells कम हो जाते हैं । इन पत्तों का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं ।

नागदोन ;  कम या रुक रुककर urine आता हो या जलन हो तो इसके 2 पत्तों को पीसकर एक गिलास शरबत बनाएं । इसे सुबह खाली पेट लेने से urine खुलकर आता है ।

छुईमुई ;  इस पौधे का पंचांग उबालकर , काढ़ा बनाकर पीने से रुक रुककर या बार बार आने वाली urine की समस्या ठीक हो जाती है ।

ब्राह्मी ;  इस पौधे को मण्डूकपर्णी , शारदा और महौषधि आदि नामों से भी जाना जाता है । इसके पत्तों का स्वरस और काली मिर्च की ठंडाई बनाकर , उसका सेवन करने से urine और kidney सम्बन्धी सभी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं ।

गोखरू ;  गुर्दे की आयुर्वेदिक दवा , वृक्कदोषहर क्वाथ , में गोखरू का प्रयोग होता है । बहुमूत्र की शिकायत हो , बार बार या रुक रुककर urine आता हो या फिर बुजुर्गों को prostrate glands की वजह से कोई भी परेशानी हो ; इन सभी के लिए गोखरू के बीज + काले तिल को बराबर मात्रा में मिलकर , पाउडर करके , सवेरे शाम लेना चाहिए । इस  पाउडर को लेने से बार बार पथरी होने की संभावना खत्म हो जाती है । कई बार operation होने के बाद पुन: पथरी हो जाती है । ये पाउडर पथरी बनने के कारण को ही समाप्त कर देता है ।
बार बार पथरी बनती  हो तो गोखरू के बीज + पाषाणभेद + वरुण की छाल + कुलथ की दाल मिलाकर कूट लें । इसे 10 ग्राम की मात्रा  में लेकर , 600 ग्राम पानी में पकाएं । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें । प्रात: सायं यह काढ़ा लेते रहने से kidney का संक्रमण और पथरी बनने का कारण खत्म हो जाते हैं । कभी कभी तो पथरी निकल भी जाती है ।

अपराजिता ;  रुक रुककर urine हो , कम आता हो , या फिर जलन हो तो इसके पत्तों को पानी में मिलाकर पीस लें । इसमें मिश्री मिलकर शर्बत बनाकर पीएं । अंडकोष फूल गए हों , या हाइड्रोसील की समस्या हो , पानी भर गया हो या फूल गए हों तो , इसके बीज पीसकर , थोड़ा गर्म करके , इस लेप को रुई में फैलाकर , अण्डकोष पर बांधें । ऊपर से लंगोट पहनें । इससे ये सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं ।

सहदेवी ;  यह प्रमेह , धातुरोग , और urine leakage आदि समस्याओं के लिए बड़ा ही कारगर पौधा है । अगर छोटे बच्चे को भी urine infection , जलन या खुजली है तो एक ग्राम सहदेवी के पंचांग को एक गिलास पानी में पकाएं एक चौथाई रहने पर उसे छानकर पिलाएं ।
यह पौधा रक्त शुद्धि , संक्रमण व urine सम्बन्धी परेशानियों में लाभ देता है ।

पलाश ; इसे ढाक , टेसू या किंशुक आदि नामों से भी जाना जाता है । यह जीवाणु नाशक व कीटाणुनाशक पेड़ है। अगर urine खुलकर नहीं आ रहा तो इसके फूल व कोमल पत्तियों को भाप में पकाएं । थोड़ा ठंडा हो जाए तो पेडू में बांधें । urine खुलकर होगा ।
इसके पंचांग को जलाकर , उसकी राख को पानी में काफी देर रखने पर , नीचे सफ़ेद सा पदार्थ रह जाता है । इसे सुखाकर पलाश का क्षार बनता है । यह मूत्रल होता है और kidney सम्बन्धी सभी समस्याओं में लाभकारी है ।

कण्टकारी ;  इसके बैंगनी रंग के फूल होते हैं । जलन हो या रुक रुककर urine आता हो तो ताज़ा पौधा 5 ग्राम लेकर , 400 ग्राम पानी में पकाएं । एक चौथाई बचे तो छानकर पिएँ । यह सूखा मिले तब भी इसी प्रकार काढ़ा बनाकर पीयें । इससे मूत्र सम्बन्धी सभी विकार दूर होंगे ।

गेहूँ ;   गेहूँ को मोटा कूटकर , दो चम्मच दलिया लें । इसे एक गिलास पानी डालकर मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सुबह पानी निथारकर , थोड़ी मिश्री मिलकर सेवन करें । urine खुलकर आएगा व पथरी की सम्भावना खत्म हो जाएगी ।

जौ ;  urine कम हो , जलन हो , बार बार जाना पड़ता हो तो , 10 ग्राम जौ + 5 ग्राम काले तिल + 3 ग्राम मेथी को रात को मिटटी के बर्तन में भिगोकर , सुबह सेवन करें । अंदर की गर्मी निकल जाएगी । जलन दाह आदि शांत होंगी , urine सम्बन्धी सभी समस्याएँ ठीक हो जाएँगी ।
जौ के क्षार को यवक्षार कहते हैं । इसे अमृत कहा गया है । इसे आधे से एक ग्राम तक पानी के साथ लिया जाए तो kidney  समस्या , पथरी आदि में   लाभ होता है ।  जौ  को जलाकर इसकी राख को 1-1 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लिया जाए तो पेशाब खुलकर आता है और किडनी की समस्या ठीक हो जाती है .

नागफनी ;  इसकी 4-5 ग्राम जड़ + 1 ग्राम मेथी + 1 ग्राम अजवायन + 1 ग्राम सौंठ को मिलकर 500 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें । अगर uric acid बढ़ा हुआ है तो इससे सामान्य हो जाएगा । इससे वात सम्बन्धी रोग भी ठीक होते हैं । arthritis के लिए भी यह लाभकारी है ।
इसके कांटे से कान बींधने पर hydrocele की सम्भावना कम हो जाती है । अगर अंडकोष में पानी या  सूजन है तो इसे चौड़ाई से ही इस तरह आधा काटें कि एक तरफ गूदा हो । अब इसे हल्का गर्म करके hydrocele वाली जगह पर रखकर लंगोटी पहन लें । ऐसा कुछ दिन करें । इससे शोथ , सूजन आदि ठीक हो जाएगी ।

मक्का ;  भुट्टे के दाने निकालकर  बचे हुए  जलाकर राख कर लें । इस राख को ठन्डे पानी के साथ सेवन करने से मूत्र सम्बन्धी विकार दूर होते हैं । दाह, जलन या रुक रुककर urine आने की समस्या भी ठीक होगी ।
अगर prostrate glands की समस्या है , गुर्दे में दिक्क्त है , या रुक रुककर urine आता है तो मकई का दलिया भी बहुत लाभकारी रहता है । बच्चे रात को बिस्तर में urine करते हों , तो उन्हें मकई खिलाएं ।

तिल ;   बच्चों को बिस्तर में urine करने की आदत हो तो काले तिल को थोड़ा भूनकर , गुड के साथ मिलाकर लड्डू बनाकर बच्चों को खिलाएँ । पथरी होने पर इसके पौधे की कोमल पत्तियों का पावडर या फिर इसकी जड़ की राख एक एक चम्मच लें । 

गाजर  ;   किडनी की समस्या में गाजर के बीज और धनिया मिलाकर सेवन करें ।

गन्ना  ; इसकी जड़ kidney के लिए बहुत लाभकारी है । इसके सेवन से पेशाब की जलन भी खत्म हो जाती है ।  अगर रुक रुक कर पेशाब आता है तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा पीयें । 

मूली  ;   पथरी होने पर मूली क्षार सवेरे सवेरे लें . Kidney stone होने पर मूली का रस एक कप की मात्रा में सुबह सुबह  खाली पेट ले लें । इससे आगे चलकर दोबारा पथरी बनने की संभावना भी कम हो जाएगी ।

भुइं आंवला  ;   यह किडनी के infections भी खत्म करती है ।  इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है । 

ककड़ी   ;  यह मूत्रल है ।  यह किडनी की सफाई कर देती है ।  पेशाब की जलन और रुककर urine आने की समस्या ठीक हो जाती है ।   प्यास अधिक लगती हो ककडी का सेवन कच्चे रूप में नियमित तौर पर करना चाहिए ।  ककडी को कच्चा सवेरे या फिर मध्यान्ह में ही करना चाहिए ।  रात्रि को ककडी ,खीरे , टमाटर और मूली आदि का प्रयोग करने से शरीर में वायु की अभिवृद्धि होती है ; अफारा आ सकता है और कफ बढ़ता है ।  

रेवनचीनी  ;   इसकी जड़ का पाउडर  लेने से urine भी ठीक तरह से आता है । इसको लेने से kidney भी ठीक होती हैं ।    

शिरीष   ;      पस cells बढ़ने , या बार बार urine के आने की समस्या हो तो , इसकी कोमल पत्तियां पीसकर मिश्री मिलाकर पीयें या इसका काढ़ा पीयें ।    

सत्यानाशी (argemone, maxican prickly poppy);    जलोदर ascites का रोग हो या urine कम आता हो तो इसके पंचांग को छाया में सुखाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें ।  इसका 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाएं ।  सवेरे शाम लें ।  

बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ;  kidney में समस्या हो तो, इसका पावडर और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाएं और एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें । 

लौकी ( bottle gourd) ;  लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए ।  इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है . 
                       रुककर पेशाब आना ,  Kidney की समस्या में या फिर urea बढ़ा हुआ हो तो  यह जूस पीएँ।  इसके पत्तियों की सब्जी खाएं . इसके डंठलों की सब्जी भी खाई जा सकती है . अगर पथरी की समस्या है तो इसकी जड़ उबालकर पीयें . 
 लौकी कडवी नहीं होनी चाहिए ;  इसका जूस हानिकारक  हो सकता है 

.नागदोन  ;    urine रुक रुककर आता हो तो इसके दो पत्तों का शर्बत खाली पेट लें । 

बकायन , महानिम्ब (bead tree ) ;  किडनी की समस्या हो तो इसकी छाल उबालकर सवेरे शाम लें ।  बकायन का प्रयोग बहुत अधिक नहीं करना चाहिए , इससे lever पर जोर पड़ सकता है । 

पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia ) ;   इसके बीज,  मेथी के बीज और आंवला बराबर मात्रा में लेकर एक चम्मच प्रात: साँय  3 ग्राम की मात्रा में  खाएं |  इससे kidney ठीक होती  है |  

पत्थरचट (bryophyllum)  ;    यह पथरी को चट कर जाता है. शायद  इसीलिये इसका यह नाम पड़ा . पित्ताशय में पथरी हो या किडनी में हो ; दोनों ही अवस्था में , सुबह शाम इसकी दो तीन पत्तियां खाएं या फिर पत्तियां पीसकर रस का सेवन करें . साथ ही प्राणायाम भी करते रहें . इससे पथरी दोबारा होने की सम्भावना भी नहीं रहती और शरीर में पथरी बनाने वाले कारक भी स्वयं समाप्त हो जाते हैं ।  अगर urine भी रुक रुक कर आता है ; तो भी ये रस बहुत मददगार है ।   

वासा (malabar nut)  ;   किडनी के रोगों में इसके पंचांग का काढ़ा लें . या फिर 5-5-5 ग्राम वासा ,पीपल और नीम मिलाकर मिटटी के बर्तन में काढ़ा बनाकर पीयें । इससे uric acid भी कम होगा और कफ भी कम होगा । 

खान पान में शुद्धि रखें व urine का अधिक वेग धारण न करें ; अर्थात अधिक देर तक urine को रोककर न रखें ।

तेजपत्ता (bay leaves)  ;  Kidney में पथरी हो तब इसकी पत्तियों का उबला पानी सवेरे शाम लें । 

खस (grass) ;   Kidney की परेशानी में खस और गिलोय का काढ़ा सवेरे सवेरे  पीयें । 

शरपुंखा  ;    इसके पंचांग को मोटा मोटा कूटकर 5-10 ग्राम लें और 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें । 
                                             Kidney  इसी काढ़े से ठीक होती है । यह मूत्रल होता है । शरपुन्खा के साथ पाषाण भेद और गोखरू मिलकर काढ़ा लेने से Kidney संबंधी सभी तरह की समस्याएँ ठीक हो जाती हैं ।  

मकोय (black nightshade) ;   किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए ।  इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें । 

गुलदाउदी (chrysanthemum)  ;     kidney stone हों तो इसके फूलों को सुखाकर उनकी चाय पीयें ।  Urine रुककर आता हो तो इसकी चार पांच छोटी छोटी पत्तियों में काली मिर्च मिलाकर ,  काढ़ा बनाकर पीयें ।    

दूब ( grass)  ;     अगर मूत्र कम आता है , क्रेटीनीन का स्तर बढ़ा हुआ है या फिर urea का level बढ़ा हुआ है तो घास का सूखा पंचांग 10 ग्राम लें और 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें । 

तिल (sesame)  ;  अगर 5 ग्राम गोखरू  और 5 ग्राम तिल मिलाकर काढ़ा बनाकर पिया जाए तो पेशाब रुक रुक कर आने की, या बार बार पेशाब जाने की ; दोनों ही  मूत्र संबंधी समस्या हल हो जायेगी ।  इसके अलावा छोटी अंगुली को ऊपर से सवेरे शाम करीब 50-50 बार दबाएँ । 
पथरी होने पर इसकी जड़ की राख ले सकते हैं ।   

कुटज (इन्द्रजौ )  ;  मूत्र के विकार हों , kidney की समस्या हो तो इसकी छाल रात को मिट्टी के बर्तन में भिगोयें ।  इसका पानी  सवेरे सवेरे पी लें । 

शतावर (asparagus)  ;  रुक कर पेशाब आ रहा है या जलन है या kidney में  पथरी  है तो शतावर में गोखरू के बीज मिलाकर डेढ़ चम्मच पावडर का काढ़ा बनाकर पीयें । 

बथुआ (chenopodium) ;बथुआ संस्कृत भाषा में वास्तुक और क्षारपत्र के नाम से जाना जाता है ।  इसमें क्षार होता है , इसलिए यह पथरी के रोग के लिए बहुत अच्छी औषधि है ।  इसके लिए इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है । 
 किडनी की समस्या हो तो इसके बीजों का काढ़ा लिया जा सकता है ।  इसका साग भी लिया जा सकता है । 

सफ़ेद प्याज (white onion) ;  पथरी है तो 4-5 प्याज का रस, शहद और पानी मिलाकर लें । 

अंगूर (मुनक्का ) grapes  ;  पेशाब खुलकर न आता हो तो 8-10 ग्राम मुनक्का , मिश्री और छाछ के साथ लें ।  

भुट्टा (corn) ;  पथरी में इसके डंठल की राख 3 ग्राम के करीब शहद के साथ लें | पेशाब की समस्या हो तो राख ठन्डे  पानी से लें । इसकी जड़ का काढ़ा मूत्र संबंधी विकारों को भी ठीक करता है | 

वरुण (three leaf caper)  ; वरुण को हिन्दी में बर्नी या बरना भी कहते हैं . जंगल का यह विशालकाय वृक्ष वसंत ऋतु में सुंदर फूलों से लद जाता है . इसकी मोटी छाल गुर्दे और पथरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है . इससे blood urea का स्तर ठीक हो जाता है ।  पथरी हो तो इसकी छाल +गोखरू +कुलथ की दाल +पाषाणभेद को मिलाकर काढ़ा बनायें और पीयें ।  पानी ज्यादा पीयें ।    
 इसकी कोमल पत्तियों का साग अगर वसंत ऋतु में तीन दिन भी खाया जाए तो पथरी होने की सम्भावना कम हो जाती है . पथरी होने पर इसके फूल व कोमल पत्तियों का काढ़ा पीयें . इसके फूल सुखाकर उसकी चाय पीने से भी पथरी नहीं होती और इससे रक्तशोधन भी होता है . इसके फूल और कोमल पत्तियों को सुखाकर उसके 3 gm पावडर की चाय लेने से kidney ठीक रहती है और पथरी होने की सम्भावना भी कम हो जाती है । 

खीरा (cucumber)  ;   यह kidney के रोगों में लाभ करता है ।  इसके लिए सुबह खाली पेट खीरा लें।  

आँवला  ;   मूत्र विकारों में इसके तने की छाल व पत्तियां 10 ग्राम लें ।  इन्हें 400 ग्राम पानी में पकाएं ।  जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।  यह काढ़ा सुबह शाम लेना है । 

करेला (bitter gourd)  ;  पथरी के लिए इसका थोड़ी मात्रा में रस खाली पेट लिया जा सकता है ।

हल्दी (turmeric)  ;   Kidney में कोई समस्या है तो एक चम्मच हल्दी प्रात: सांय पानी के साथ लें । 

धनिया (coriander)  ;  पेशाब में जलन हो या रुक रुक कर आ रहा हो तो , थोडा आंवला और धनिए का पावडर रात को भिगोकर सवेरे ले लें । 

घृतकुमारी (aloe vera )  ;   भुने काले तिल , गुड और घृतकुमारी को मिलाकर लड्डू बनायें  ।  ये लड्डू prostrate gland बढ़ने पर  लिए जा सकते हैं । 

कंटकारी , कटैली (yellow berried nightshade )  ;  पेशाब रुक रुककर आता हो तो सूखे पौधे को पांच ग्राम लें और चार सौ ग्राम पानी में उबालें ।  जब एक चौथाई रह जाए तो खाली पेट पी लें । 

पालक (spinach )  ;  अगर जड़ समेत पालक को कूट कर बीस पच्चीस मीo लीo रस खाली पेट सुबह ले लो तो पथरी चाहे कहीं की भी क्यों न हो ; खत्म हो जाती है ।  पेशाब खुलकर न आ रहा हो तो भी यह लाभदायक है । 

मेंहदी (henna )  ;   यदि E.S.R. बढ़ गया है, शरीर में pus cells बढ़ गए हैं  ; prostate बढ़ गया है या पथरी की शिकायत है  ; तो मेंहदी की  2-3 ग्राम छाल और 2-3 ग्राम पत्तियां लेकर उसे 200 ग्राम पानी में पकाएं ।  जब आधा रह जाए तो खाली पेट पी लें । 


गेंदा (african merigold )  ;   पेशाब खुलकर न आता हो या urine में infection हो तो इसकी 5-10 ग्राम पत्तियों का रस खाली पेट लें ।  

छुईमुई (touch me not )  ;  kidney बढ़ गई  हैं, उन्हें shrink करना है , तो इस पौधे को पूरा सुखाकर , इसके पाँचों अंगों (पंचांग ) का 5 ग्राम 400 ग्राम पानी में उबालें।  जब रह जाए एक चोथाई, तो सवेरे खाली पेट पी लें। 
पथरी किसी भी तरह की है तो , इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ ।  पेशाब रुक - रुक कर आता है या कहीं पर भी सूजन या गाँठ है तो इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ । 

गिलोय  ;   गिलोय  kidney के लिए बहुत बढ़िया है । इसके प्रयोग से इन रोगों में आराम आता है । 

अपामार्ग , लटजीरा  ;  Kidney की समस्या है तो इसके पचांग का काढ़ा लें ।     इसकी छार या क्षार बहुत ही उपयोगी है . इसकी छाल, जड़ आदि को जलाकर पानी में ड़ाल दें . बाद में ऊपर का सब कुछ निथारकर फेंक दें . नीचे जो सफ़ेद सा पावडर बच जाता है ; उसे अपामार्ग की छार या क्षार बोलते हैं ।  अगर kidney में stone हैं , तो इसका आधा ग्राम क्षार पानी के साथ ले सकते हैं । 

पलाश (flame of the forest )  ;   पेशाब खुलकर नहीं आता , किडनी ठीक नहीं है , तो इसके 5-10 फूल रात को आधा लिटर पानी में भिगोयें और सवेरे उस पानी को मसलकर , छानकर पीयें | 
 kidney की सूजन में इसका क्षार बहुत अच्छा रहता है ।  क्षार बनाने के लिए इसका सूखा पौधा जलाकर पानी में घोल कर छोड़ दें।  कुछ घंटों बाद ऊपर का सब कुछ निथार कर फेंक दें ।  नीचे बचा हुआ सफ़ेद पावडर सुखा लें ।  वही क्षार कहलाता है । 

सहदेवी ;  अगर मूत्र संबंधी कोई समस्या है तो एक ग्राम सहदेवी का काढ़ा लिया जा सकता है ।   

गेहूँ  ;   पेशाब में जलन हो या खुलकर न आता हो तो 2 चम्मच दलिया रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें। सवेरे खाली पेट इसे छानकर पीयें। गोधूम क्षार पथरी के लिए अच्छा होता है।  क्षार बनाने के लिए पूरे गेहूँ के पौधे को जला लें।  पानी में अच्छी तरह घोल लें ।  कुछ घंटे ऐसे ही रहने दें ।  बाद में ऊपर का निथारकर  फेंक दें और नीचे बचा हुआ सफ़ेद पावडर सुखा लें ।  यही गोधूम क्षार है . 
                           पथरी होने पर सवेरे शाम आधा-आधा ग्राम गोधूम क्षार लें।  

अपराजिता  ;  कम पेशाब आता हो तो इसके पत्ते पीसकर पानी में मिश्री के साथ लें। 

कालमेघ  ;   2 ग्राम आंवला +2 ग्राम कालमेघ +2 ग्राम मुलेटी का 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाइए और सवेरे शाम लीजिए ।  इससे शुगर की बीमारी  के कारण हुई किडनी की समस्या ठीक हो जाती है ।  

कचनार  ;  पेशाब रुक कर आता हो तो इसके बीज का पावडर 1-1 ग्राम सवेरे शाम लें। पेशाब में जलन हो तो इसकी छाल का पावडर +धनिया पावडर +मिश्री मिलाकर लें। 

ब्राह्मी   ;   पेशाब की दिक्कत हो तो ब्राह्मी के रस में काली मिर्च मिलाकर शरबत पियें । 

जामुन  ;  जामुन के फल को एक वर्ष में 20 -25 दिन भी ले लो तो पथरी होने की सम्भावना नहीं होती।  

गोखरू  ;   यह kidney के लिए सर्वोत्तम है।  इसके पंचांग या केवल फल का काढ़ा लेने से किडनी ठीक हो जाती है।  बार बार पेशाब आता है , या रुक रुक कर आता है या फिर prostrate glands की समस्या है तो गोखरू और काला तिल बराबर मात्रा में मिलाकर प्रात: सांय लें।   इसका काढ़ा लेने से पथरी निकल जाती है और दोबारा नहीं होती।  

रतनजोत (onosma )  ;  इसके पत्तों का काढ़ा नियमित रूप से लिया जाए तो गुर्दे की पथरी भी ठीक हो जाती है।  

कदम्ब  ;   इसके पेड़ की 5 ग्राम छाल में 4-5 तुलसी के पत्ते डालकर काढ़ा बनायें और कुछ दिन पी लें। अगर urine कम आ रहा है तो इसे लेने से यह समस्या हल हो जाती है। 

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