Wednesday, December 31, 2014

पसीने में दुर्गन्ध!

नवयुवकों को कभी कभी यह समस्या बहुत परेशान करती है . जुराब उतारते ही आसपास दुर्गन्ध फ़ैल जाए तो आसपास वाले भी परेशान हो जाते हैं . इसके लिए सवेरे सवेरे उठकर एक गिलास पानी पी लें . 5-10 पत्ते शीशम के +5-10 पत्ते बेल के मिलाकर पीस लें . इसमें कुछ पानी मिलाकर शर्बत बना लें . इसे सवेरे खाली पेट प्रतिदिन लें . 10-15 दिनों में ही लाभ नजर आने लगेगा . एक महीने में तो यह समस्या शत प्रतिशत ठीक हो जायेगी .
                                           इसके अलावा सुबह कायाकल्पवटी+गिलोय घनवटी की एक एक गोली ले सकते हैं . खाने के बाद महामंजिष्ठारिष्ट या खदिरारिष्ट चार-चार चम्मच पानी मिलाकर ले सकते हैं .
                 नमक मीठा कम खाएं . बैंगन जैसी गर्म सब्जियां न खाएं . गर्मी बढाने वाली चीज़ें न खाएं .
   25-50 ml गेहूं की घास(ज्वारा) का रस+2-4 चम्मच aloe vera का जूस +2-4 चम्मच आंवले का रस खाली पेट लेने से भी पसीने की दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है .इससे शरीर की जलन भी खत्म होती है और शरीर की गर्मी भी कम हो जाती है .
    गिलोय का रस लेते रहें और कायाकल्प क्वाथ भी लेते रहें तो शरीर की शुद्धि हो जाती है .
  बच्चे और नवयुवक अगर सुबह सुबह 10-15 मिनट दौड़ लगायें तो शरीर की दुर्गन्ध के साथ शरीर की जलन की खत्म होगी और चर्म रोग भी नहीं होंगे .
  हर रोज़ नियमित रूप से सभी प्राणायाम तो करने ही चाहियें . कपालभाति प्राणायाम विशेष तौर पर लाभकारी  रहेगा ।
इसके अतिरक्त निम्नलिखित पौधों का भी प्रयोग किया जा सकता है :

बेल  ;    पसीने में बहुत दुर्गन्ध आती हो तो इसके पांच-सात पत्तों का काढ़ा चालीस दिन तक पीयें । आप पाएंगे कि पसीने की दुर्गन्ध पूरी तरह चली गई है । समय न हो तो पत्तियां चबाकर पानी पी लें ।   

खीरा (cucumber)  ;  शरीर में बदबू आती हो तो एक भाग खीरे के बीजों के साथ दो भाग आंवला मिलाएं और सवेरे शाम लें ।  इससे शरीर में बदबू खुशबू में परिणत हो जाएगी ।  

आँवला  ;  पसीने से दुर्गन्ध आती हो तो सवेरे शाम 3-3 ग्राम आंवले के पावडर का सेवन करें । पसीने अधिक आने पर भी इसका रस या पाउडर पांच ग्राम तक लेने से फायदा होता है ।   

धनिया (coriander)  ;  यदि पसीने से दुर्गन्ध आती हो तो तीन ग्राम धनिया +पांच ग्राम आंवला +कालीमिर्च मिलाकर पानी के साथ लेते  रहें ।  बदबू आनी बंद हो जायेगी । 

मेंहदी (henna )  ;  मेहंदी को शरीर पर लेप करने मात्र से हारमोन संतुलित होने लगते हैं ।  इसका लेप लगाने से और पत्तों का शरबत पीने से पसीने का हथेलियों पर आना , और पसीने की बदबू आदि खत्म हो जाते  हैं ।  

जामुन  ;  पैरों में पसीने की बदबू आती हो तो इसके वृक्ष की पत्तियों का काढ़ा पीयें।  

शीशम  ;  इसके 5-7 पत्तों  को  पीसकर , मिश्री मिलाकर शर्बत बनाकर पी लें।  इससे पसीने से आने वाली बदबू खत्म हो जायेगी। 

ear infections

मूली ;   अगर कान में दर्द है या साँय साँय की आवाज़ आती है तो 200 ग्राम मूली के पत्तों में 50 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं । जब केवल तेल रह जाए तो इसे शीशी में भरकर रख लें । इस तेल की बूँदें कान में डालने से कान की पीड़ा से छुटकारा मिलता है ।


कान में छेद हो जाने पर , या किसी अन्य वजह से कान बहने लगता है . उस पस में बहुत दुर्गन्ध आती है और कई बार तो आपरेशन कराने के बावजूद भी कान का छेद नहीं भरता .
                            15-20 मिनट कपालभाति और इतनी ही देर अनुलोम -विलोम प्राणायाम नियमित रूप से किया जाए तो कान का छेद निश्चित रूप से भर जाता है .
          इसके अतिरिक्त हाथ की छोटी अंगुली और ring finger के नीचे वाला हथेली का point खाली पेट नियमित रूप से दबाना चाहिए .
  चन्द्रप्रभावटी+शिलाजीत रसायन +सारिवाद्यवटी तीनों की एक एक गोली सुबह शाम खाने के बाद लें .
                कान के अंदर फुंसी हो तो थोडा कायाकल्प तेल रुई की सहायता से लगा लें . कायाकल्पवटी और गिलोय घनवटी की एक एक गोली खा सकते हैं . ज्यादा फुंसियाँ हों तो आरोग्यवटी  भी साथ में ले सकते हैं .
                कान में दर्द हो रहा हो तो सुदर्शन का अर्क ड़ाल सकते हैं . सुदर्शन का पत्ता थोडा आग पर सेककर निचोड़ा जाए तो जो बूँद निकलती हैं उसे कान में डालने से भी कान के दर्द में आराम आता है।
निम्न पौधों का प्रयोग भी लाभदायक है :

सरसों  ;    सरसों के तेल से कान के दर्द , किसी प्रकार का संक्रमण या कम सुनने की समस्या भी ठीक होती है । स्नान करने से पहले सरसों का तेल कान में डालना लाभदायक बताया जाता है । 

शिरीष  ;   कान में समस्या होने पर इसकी पत्तियां गर्म करके उसका रस दो बूँद कान में ड़ाल सकते हैं ।  

पत्थरचट (bryophyllum)  ;   कान में दर्द हो तो इसके पीले पत्ते को गर्म करके उसके रस की दो बूँद कान में ड़ाल लें । 

भृंगराज    ;     कान में दर्द या पस है तो भी इसके पत्तों के रस की बूँदें डाली जा सकती हैं |  

बेल  ;      कान के दर्द के लिए इसका तेल दो तीन बूँद कान में ड़ाल सकते हैं ।  इसके लिए इसके पत्ते कूटकर तेल में पका लें ।  जब केवल तेल बच जाए तो उसका प्रयोग करें । इसे बिल्वादी तेल कहते हैं ।

तुलसी (holi basil) ;  कान में दर्द हो तो इसकी 25 पत्तियां 50 ग्राम तेल में पकाकर छान लें और 2-2 बूँद डालें । 

सफ़ेद प्याज (white onion)  ;  कान में पस है या दर्द है तो इसका रस गर्म करके डालें । 

नागफनी (prickly pear)  ;   कान में परेशानी हो तो इसका पत्ता गर्म करके दो-दो बूँद रस डालें । 

धतूरा ( prickly poppy)  ;  कानों की पीड़ा के लिए ,पत्तों का रस 100 ग्राम 25 ग्राम लहसुन 10 ग्राम नीम के पत्ते  50 ग्राम सरसों के तेल में धीमी आंच पर पकाएं ।  जब केवल तेल रह जाए, तो छानकर शीशी में भर लें ।  कान में दर्द हो तो एक दो बूँद टपका दें । 

भाँग (cannabis)  ;   कान में दर्द हो तो इसके पत्तों का रस दो बूँद की मात्रा में कान में डाल सकते हैं । 

गेंदा (african merigold )  ;   कान में पस या दर्द हो तो इसके पत्तों का रस पीसकर 2-2 बूँद कान में टपकाएं ।   

अपामार्ग , लटजीरा  ;    अपामार्ग के पत्तों का रस दो बूँद कान में डालने पर कान के दर्द से छुटकारा मिलता है ।   

थूहर (milk bush)  ;   अगर कर्ण रोग है तो इसके पीले पड़े हुए पत्तों को गर्म करके कान में दो दो बूँद रस ड़ाल सकते हैं ।  

श्योनाक , टोटला  ;   कान में दर्द हो तो इसकी 100 ग्राम छाल कूटकर 100 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं ।  जब केवल तेल रह जाए तो शीशी में भर कर रख लें ।  इसे दो - दो बूँद कान में डालें ।  

शीशम  ;   कान में दर्द हो तो इसकी कोमल पत्तियों का रस दो-दो बूँद कान में डालें। 

सुदर्शन  ;  कान में भयंकर पीड़ा या दर्द हो तो इसकी पत्तियां तोड़कर, गर्म करके, 4-4 बूँद कान में डालें । तुरंत राहत मिलेगी । 

Monday, December 29, 2014

मोटापा !


पिप्पली (long pepper)  ;   पंचकोल (पीपल , पीपलामूल , चित्रक , चव्य, सौंठ ) का काढ़ा लेने से इससे मोटापा कम होता है ।  5gram  पिप्पली+ 1gramपीपला मूल के काढ़े से मोटापा ठीक होता है ।   

भारंगी (turk's turban moon) ;    मोटापा खत्म करने की मेदोहर वटी में भी भारंगी को डाला जाता है । 

 अरण्ड (castor)  ;  मोटापे में पेट की चर्बी घटानी हो तो अरंड की बीस ग्राम जड़ दो सौ ग्राम पानी में पकाएं ।  जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें । जादू का सा असर होगा ;  लेकिन करना नियमित रूप से होगा । 

Sunday, December 28, 2014

जलने पर ...


आलू   ;    अगर कहीं पर जल जाएँ तो तुरंत आलू काटकर लगा लें ।

 ककड़ी  ;    जलने पर कच्ची ककडी काटकर लगा दें ।  तुरंत आराम आ जायेगा । 

धातकी ,धाय (woodfordia)  ;  अगर कहीं जल जाएँ तो , इसके पत्ते पीसकर लेप कर लें ।  इससे दाह तो खत्म होगी ही , फफोले या निशान भी नहीं पड़ेंगे । 

 सेमल (silk cotton tree) ; जलने पर इसकी छाल को घिसकर लगाया जा सकता है । 
 
खीरा (cucumber) ;  जल जाने पर खीरे के टुकड़े को जले हुए पर रख दें । 

घृतकुमारी (aloe vera)  ;  त्वचा जल जाए तो इसके गूदे से ज्यादा बढ़िया इलाज हो ही नहीं सकता। एकदम इसका गूदा लगा लें ।  जलन तो तुरंत ही समाप्त हो जायेगी ।  बहुत जल्दी recovery हो जाएगी और निशान तो पड़ेगा ही नहीं । इसके लिए इसका पौधा गमले में हमेशा घर में रखें । 

गेहूँ  ;  जलने पर इसके आटे में हल्दी मिलाकर लुगदी बनाकर लगाएँ। 

Saturday, December 27, 2014

worms in stomach !

छोटे बच्चों को पेट में कीड़े हो जाते हैं . अगर बच्चे के चेहरे पर सफ़ेद गोल चकत्ते हों या रात को सोते समय बच्चा दांत किटकिटाए या फिर सोते समय मुंह से लार गिरकर तकिया गीला हो जाता हो ; तो समझ लेना चाहिए कि पेट में कीड़े हैं . कई बार बच्चे खाना तो ठीक खाते हैं परन्तु फिर भी कमजोर हो जाते हैं . यह भी पेट में कीड़े होने का लक्षण हो सकता है . पेट के कीड़े मारने वाली अंग्रेजी दवाइयाँ खाने से ऐसा देखा गया है की  छोटे बच्चों को शुगर की बीमारी हो सकती है . इसलिए कीड़े मारने के लिए बच्चों को अंग्रेजी दवाई न दें .
                  बच्चे को खाली पेट दो या तीन चम्मच आडू के पत्तों का रस दें . मरुए के पत्तों की चटनी खिलाएं . अगर खाली पेट पांच छ: मरुए के पत्ते हर रोज़ बच्चे को खिलाएं तब भी पेट के कृमि मर जाते हैं . खाली पेट टमाटर में नमक लगाकर खिलाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं . खट्टी छाछ पिलाने से भी आशातीत सफलता मिलती है .
                        कमीला चूर्ण 1-2 ग्राम सवेरे शाम कुछ दिन तक दे सकते हैं . इसके अलावा अरविंदासव या विडंगासव लेने से भी पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं .
                  अगर आंतें सबल होंगी तो शायद पेट में कृमि ठहर ही नहीं पायेंगे . आँतों को सबल बनाने के लिए कपालभाति प्राणायाम करें . बच्चों को भी करवाएं।
इसके अतिरिक्त कुछ पौधों का भी प्रयोग किया जा सकता है :

पित्त पापड़ा ( hedgi fumigatory );      अगर पेट में कीड़े हो गए हों तो इसमें वायविडंग मिलाकर बच्चों को एक एक ग्राम की मात्रा में दें ।  बड़े दो दो ग्राम भी ले सकते हैं ।  सिर्फ पित्त पापड़ा को ही खाली पेट लेने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं ।  

 गाजर  ;   आँत में कीड़े हो जाएँ तो गाजर का रस पीएँ और इसकी सब्जी खाएँ । 

कूठ (costus) ;    पेट में कीड़े हों , मचली हो , या दर्द हो तो , इसको आधा ग्राम की मात्रा में दिया जा सकता हैं ।  यह शरीर को उत्तेजित करता है ; इसलिए बच्चे की प्रकृति के अनुसार ही उसे दें । बहुत अधिक न दें ।  

बकायन, महानिम्ब (bead tree) ;  अगर पेट में कीड़े हों तो इसके फल का पावडर 2-2 ग्राम सवेरे शाम लें । 

बथुआ (chenopodium) ;   इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है ।  यह  कृमिनाशक है ।  

करेला (bitter gourd) ;  पेट के कीड़ों  के लिए 50 से  100 मि० ली० करेले का रस सवेरे खाली पेट लें ।  यह देखा गया है कि कीड़े मारने की दवाइयाँ खाने से साइड इफैक्ट्स तो होते ही हैं ; कई बार पेट के कीड़े भी पूरी तरह समाप्त नहीं होते ।  लेकिन 50 मी० ली० करेले का रस चार पांच दिन खाली पेट सवेरे सवेरे ले लिया जाए ,  तो पेट के कीड़े तो मर ही जाते हैं ;कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता । हाँ इसकी मात्रा इससे ज्यादा नहीं लेनी चाहिए ।  ज्यादा मात्रा में इसका रस दस्त लगा सकता है।  बच्चों को इसकी कम मात्रा देनी चाहिए । 

अरण्ड (castor )  ;  पेट में  कीड़े हों तो थोडा गुड खाकर बीस मिनट बाद इसके पत्तों का 5 ग्राम रस पी लें ।  pin worms  हों तो पत्तों का रस anus पर लगायें । 

हरसिंगार (night jasmine )  ;   पेट में कीड़े हों तो पत्तों का रस लें । छोटा बच्चा है तो एक चम्मच और बड़ा व्यक्ति है तो दो चम्मच लें ।  सुबह खाली पेट थोडा पानी और चीनी मिलाकर लें ।  साल में कभी-कभी यह रस ले लें तो पेट में कीड़े होंगे ही नहीं । 

curry leaves  ;   पेट में कीड़े हों तो इसके सूखे पत्तों का पावडर 2-3 ग्राम सवेरे खाली पेट लें ।     

मरुआ  ;   पेट में कीड़े या infections हों तो इसकी पत्तियों का रस खाली पेट लें ।  छोटे बच्चों को 4-6 बूँद दे सकते हैं । 

कालमेघ  ;   2 ग्राम आंवला +2 ग्राम कालमेघ +2 ग्राम मुलेटी का 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाइए और सवेरे शाम लीजिए ।  इससे पेट के कीड़े समाप्त हो जाएँगे । 

कचनार  ;   आंत में कीड़े हों तो इसका 20 ग्राम छाल का काढ़ा +1 ग्राम वायविडंग तीन चार दिन लें। 

hair problems

सरसों  ;  इसके तेल के इस्तेमाल से बाल झड़ने बंद हो जाते हैं।

बहेड़ा ( bellaric myrobalan)  ;  इसके फल की गिरी की बारीक पेस्ट बनाकर बालों में लगाई जाए तो बाल मजबूत होते हैं और उनमें कोई रोग भी नहीं होते ।    

दूधी,दूधिया घास (milk hedge) ;   बाल झड़ते हों तो दूधी के रस के साथ कनेर के पत्तों का रस मलकर बालों की जड़ में लगायें ।  अकेला दूधी का रस भी लगा सकते हैं ।  

महानिम्ब , बकायन (bead tree)  ;   dandruff हो तो इसकी पत्तियों का रस बालों की जड़ में लगायें । बालों को स्वस्थ रखना हो तो बकायन के फल +सौंठ +आंवला +भृंगराज बराबर मात्रा में मिलाकर एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें ।  

तेजपत्ता (bay leaves)  ;  सिर में जूएँ हो गयी हों तो 50 ग्राम पत्तों को 400 ग्राम पानी में उबालें |  जब 100 ग्राम रह जाए तो सिर की जड़ों में लगा लें |  एक दो घटे बाद धो दें . इसमें उबलने से पहले भृंगराज मिला लें तो और भी अच्छा है |  

भृंगराज   ;   इस पौधे को आम भाषा में भांगरा या भंगरैया भी कहा जाता है ।  संस्कृत भाषा में इसे केशराज या केशरंजन कहते हैं । 
                                    बालों को घने , काले और सुंदर बनाना है तो आंवला ,शिकाकाई ,रीठा और भृंगराज के पावडर में पानी मिलाकर लोहे की कढ़ाई में गर्म करते हुए पेस्ट बनाएँ ।  इसे सिर पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें ।  फिर सिर धो लें ।  इसके पत्तों का रस निकालकर बराबर का तेल लें और धीमी आंच पर रखें . जब केवल तेल रह जाए,  तो बन जाता है ; भृंगराज केश तेल !  अगर धीमी आंच पर रखने से पहले आंवले का रस मिला  लिया जाए तो और भी अच्छा तेल बनेगा ।  बालों में रूसी हो या फिर बाल झड़ते हों, तो इसके पत्तों का रस 15-20 ग्राम लें +थोडा सुहागे की खील+दही मिलाकर बालों की जड़ में लगाकर एक घंटे के लिए छोड़ दें ।  बाद में धो लें ।  नियमित रूप से ऐसा करने पर बाल सुंदर घने और मजबूत हो जाते हैं ।  

तिल (sesame)  ;  बाल सुन्दर और मजबूत बनाने हों तो इसके पौधे की जड़ और पत्तियां उबालकर उस पानी को  बाल की जड़ में लगाकर धोएं ।  

गुड़हल , जबाकुसुम (shoe flower, china rose) ;  यह केशों के रोग दूर करता है . सिर में रूसी , गंजापन हो या फिर बाल झड़ते हों तो इसकी 10-15 पत्तियां और फूल लेकर कूट लें ।  इनको 100 ग्राम नारियल के तेल में धीमी आंच पर पकाएं । जब केवल तेल रह जाए तो शीशी में भरकर रख दें इसे रोज़ बालों में लगायें | इससे dandruff से छुटकारा मिलेगा और बाल झड़ने भी बन्द हो जाएंगे ।

तुलसी (holi basil)  ;  जुएँ हो गई हों तो इसकी पत्तियों के रस की मालिश बालों की जड़ों में करें ।  इससे जुएँ भी खत्म होंगी तथा बाल भी मजबूत होंगे ।  

सफ़ेद प्याज (white onion)  ;  बाल झड़ें और गंजापन हो तो प्याज का रस , दही , नींबू और सुहागे की खील ; ये सब मिलाकर सिर पर लगायें ।  कुछ देर के लिए छोड़ दें ।  फिर धो लें । इससे रूसी भी ठीक होती है । 

घृतकुमारी (aloe vera)  ;   बाल सफ़ेद हो रहे हैं तो इसका गूदा खाइए और साथ में सिर पर लेप कीजिये ;---   इसका गूदा + भृंगराज + दही +  मुल्तानी मिटटी  ।   बस फिर चमत्कार देखिये और प्रसन्न हो जाइए ।   गंजे भी इसके गूदे को सिर पर नियमित रूप से लगाएँ , तो निश्चित रूप से फायदा होगा ।  

आँवला  ;  बालों के लिए आंवला, शिकाकाई रीठा और भृंगराज मिलाकर , लोहे की कढ़ाई में पकाकर बालों में लेप करें ।  कुछ घंटे बाद धो दें ।  इससे  बाल बहुत अच्छे हो जाते हैं ।  इसके बीज की गिरी को पीस कर बालों की जड़ों में लगाया जाए तो बाल मजबूत हो जाते हैं । नियमित रूप से आंवला लेने से बाल काले रहते हैं और झड़ने भी बंद हो जाते हैं।   

कंटकारी , कटैली (yellow berried nightshade )  ;  गंजेपन में या बालों में रूसी हो तब इसका रस बालों की जड़ों में लगाएँ ।  

मेंहदी (henna )  ;    मेंहदी बालों को रंगने के लिए ज्यादा प्रयोग में लाई जाती है । लोहे की काली कढ़ाई में मेंहदी+भृंगराज+आंवला +रतनजोत मिलाकर रात को भिगो दें ।  सवेरे इसमें थोडा Aloe Vera का गूदा अच्छे से मिला कर बालों में लगा कर छोड़ दें ।  कुछ घंटों बाद सिर धोएँ ।  बाल मज़बूत होंगे , अच्छा रंग चढ़ेगा।  अगर बिलकुल काले रंग के बाल करने हैं , तो नील के पत्ते भी पीसकर मिला दें । मेंहदी का तेल भी सिर के लिए बहुत अच्छा है ।  इसके लिए इसके 750 ग्राम पत्ते +250 ग्राम बीज +250 ग्राम इसकी छाल लेकर 4 किलो पानी में पकाएं । यह धीमी आंच पर पकाना है ।  जब एक चौथाई रह जाए , तो उसमें एक किलो सरसों का तेल मिला लें ।  फिर धीमी आंच पर पकाएं ।  जब केवल तेल रह जाए ; तो छानकर शीशी में भर लें ।  यह तेल बालों के लिए बहुत ही बढिया है । 

ब्राह्मी  ;   बाल सफेद होने पर इसका रस बालों की जड़ों में लगायें और ब्राह्मी और भृंगराज बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच सवेरे शाम लें। 

रतनजोत (onosma)  ;    बालों को रंगना हो और आँखों की रोशनी बढानी हो तो ,मेंहदी की पेस्ट में रतन जोत को मिलाकर अच्छे से गर्म करें।  ठंडा होने पर बालों में लगायें व कुछ देर के लिए छोड़ दें।  इसके बाद पानी से सिर धो लें।  सिर में लगाने वाले तेल में अगर रतनजोत के कुछ टुकड़े ड़ाल दिए जाएँ तो तेल का रंग तो सुंदर हो ही जाता है ; इस तेल के प्रयोग से बाल स्वस्थ और काले हो जाते हैं।  साथ ही इस तेल से मस्तिष्क की ताकत भी बढ़ती है। 
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Thursday, December 25, 2014

polio, paralysis, sciatica, elephant leg, backache, vericose veins ....

निर्गुण्डी (vitex negundo)  ;  पोलियो या paralysis होने पर इसके पत्तों का काढ़ा पीयें ।  Sciatica की समस्या हो तो निर्गुन्डी का तेल मलें . तेल बनाने के लिए इसके पत्तों का एक किलो रस लें , या इसके सूखे पत्तों के पावडर को 4 किलो पानी में उबालें ।  जब रह जाए एक किलो तो आधा किलो सरसों का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं ।  केवल तेल बचने पर छान लें ।  इस तेल से polio  और paralysis में भी लाभ होता है ।  Elephant leg की बीमारी में इसके पत्तों के रस में तेल मिलाकर 15-20 दिन पैरों की मालिश करें ।  अवश्य लाभ होगा ।   

तुम्बरू (toothache tree) ;    sciatica की समस्या हो तो इसकी पत्तियों के साथ सूखी जड़ 5 ग्राम मिलाकर 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें । अगर ताज़ी जड़ हो तो 10 ग्राम लेनी चाहिए ।  अगर सूजन हो गई है तो इसकी पत्तियां उबालकर सिकाई करें । 

महानिम्ब , बकायन (bead tree);   Sciatica की समस्या होने पर इसकी जड़ की छाल 10 ग्राम +5-7 निर्गुन्डी के पत्ते का काढ़ा बनाकर सवेरे शाम लें । 

भृंगराज   ;    हाथी पाँव हो गया हो तो इसके पत्ते पीसकर सरसों का तेल मिलाकर लगायें  और इसके पंचांग का काढ़ा पीयें । 

मेथी (fenugreek)  ;   sciatica  में हल्दी , मेथी और सौंठ को बराबर मात्रा में मिलाकर एक -एक चम्मच सवेरे शाम ले लें ।  

घृतकुमारी (aloe vera )   ;  कमर दर्द , slip disc या sciatica की परेशानी हो तो इसका गूदा आटे में गूंधकर रोटी  खाएँ  । 

अपराजिता  ;   Elephant Leg हो गया हो तो इसकी जड़ और बीज का पावडर 1-1 चम्मच गर्म पानी से लें । 

विधारा  ;   Varicose veins की बीमारी भी इससे ठीक होती है । 

हरसिंगार ; Sciatica की बीमारी का तो इलाज ही यह पेड़ है |  इसके दो तीन बड़े पत्तों का काढ़ा सवेरे शाम खाली पेट पीयें|   

अश्वगंधा  ;  अगर इसे हल्दी और मेथी (बीज ) के साथ मिलाकर लिया जाए; एक एक चम्मच सवेरे शाम ,  तो sciatica की बीमारी भी खत्म होती है।  

खाज-खुजली, फोड़े , फुंसियाँ...

 सरसों ;  खाज खुजली के लिए 100 ग्राम तेल में 10 ग्राम देसी कपूर मिलाकर मालिश करें ।  


आलू  ;    शरीर में कहीं पर भी खुजली की शिकायत है तो इसकी पत्तियों को पीसकर उसका रस लगायें । 


पित्त पापड़ा ( hedgi fumitori) ;   पित्त पापड़ा के साथ नीम की पत्तियों को मिलाकर काढ़ा बनाकर लेने से , फोड़े , फुंसियाँ , दाद, खाज , खुजली , eczema , psoriasis आदि सब ठीक हो जाते हैं |  अगर सरसों के तेल में इसे अच्छे से पकाकर ; जब केवल तेल रह जाए तब छानकर , उस तेल को त्वचा पर लगायें तो ये बीमारियाँ और भी जल्दी ठीक हो जाती हैं|

दारुहल्दी ( berberry )  ;  इसकी डालियों और पत्तियों के पास कांटे होते हैं . अत: ध्यान से पत्ते तोड़ने चाहियें. इसके पत्तों को पीसकर अगर लुगदी को फोड़े फुंसियों पर लगाया जाए , तो या तो फुंसियाँ पककर फूट जाती हैं या फिर बैठ जाती हैं |  

बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ;     खुजली की समस्या के लिए इसकी मींगी (फल का बीज ) का तेल +मीठा तेल (तिल का तेल ) मिलाकर मालिश करनी चाहिए ।  

निर्गुण्डी (vitex negundo)  ; अगर फुंसी हो गई है या घाव हो गया है तो पत्ते उबालकर , पानी से धोएं ।  

नागदोन  ;    फोड़ा हो तो इसके पत्ते गर्म करके बाँध लें ।   

बकायन , महानिम्ब (bead tree) ;   रक्तशुद्धि और त्वचा के रोगों में यह बहुत लाभकारी है ।  त्वचा के रोगों के लिए इसकी 10 ग्राम छाल को 200 ग्राम पानी में पकाएं जब रह जाए 50 ग्राम ; तो इसे पी लें . यह सवेरे शाम खाली पेट लें ।  खुजली हो तो इसके पत्तों के रस की मालिश करें । 

पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia)  ;      यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार , शीतपित्त , psoriasis , दाद खाज आदि से छुटकारा मिलता है ।Psoriasis , eczema या खाज खुजली होने पर इसके पत्ते पानी में उबालकर नहायें ।   

धातकी , धाय (woodfordia)  इसकी टहनी की छाल चन्दन की तरह घिस लें।   फोड़ा या नासूर होने पर  इसी पेस्ट को फोड़े पर लगा लें ।  फोड़ा जल्दी ठीक होगा ।     

मुलेठी (licorice root)  ;   इसके पत्तों को पीसकर फुंसी पर लगाने से वह जल्दी फूट जाती है या फिर दब जाती है ।  केवल यह ध्यान रखना है की फुंसी का मुंह खुला रहे । 

खस (grass )  ;   चर्म रोग या eczema या allergy हो तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ में 2-3 ग्राम नीम मिलाकर काढ़ा बनाएं और सवेरे शाम पीयें ।   

 भारंगी (turk's turban moon)  ;  फोड़े हो गए हों तो पत्ते पीसकर गर्म करके पुल्टिस बांधें ।  

शरपुंखा  ;   यह रक्तशोधक है ।  इसके पंचांग में नीम की पत्ते डालकर काढ़ा पीया जाये तो फोड़े-फुंसियाँ ठीक हो जाती हैं । 

दूब (grass)  ;   खुजली की समस्या है तो घास में चार गुना पानी मिलाकर पकाएं ।  जब एक चौथाई रह जाए तो सरसों का तेल और कपूर मिलाकर खुजली वाले स्थान पर मलें । 

कुटज (इन्द्रजौ )  ;   इसकी छाल रात को मिट्टी के बर्तन में भिगोयें ।  इसका पानी  सवेरे सवेरे पी लें । यह रक्तशोधक भी है । फोड़े फुंसी होने पर भी यही पानी पीने से राहत मिलती है ।  खुजली हो तो इसकी छाल पानी में उबालकर उस पानी से धोएं ।    

बाकुची (psoralea seeds) ;  दाद खाज खुजली में इसका तेल लगायें । 

तुलसी  (holi basil)  ;  दाद -खुजली हो तो नीम्बू और तुलसी का रस 4 : 1 के अनुपात में लें और त्वचा पर लगायें । इससे  त्वचा सुंदर भी होती है । 

सफ़ेद प्याज (white onion)  ;  फोड़ा पकाना है तो प्याज गर्म करके लगा दें । 
खुजली है तो , इसके रस के साथ नीम का रस मिलाकर लगायें , या केवल इसका ही रस लगा लें |  

सेमल (silk cotton tree) ; चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लें ।  

पीपल (sacred fig)  ;  फोड़े फुंसी पर इसकी छाल घिसकर लगा दें । 

वरुण (three leaf caper)  ; यह रक्तशोधक है ।  इसकी पत्तियों को कूटकर काढ़ा लेने से खाज खुजली ठीक होती है ।  फोड़े फुंसी पर इसकी पत्तियां उबालकर और थोडा नमक डालकर बाँध लें ।

 करेला (bitter gourd )  ;  इसका थोडा सा रस खाली पेट ले लिया जाए तो त्वचा सम्बन्धी विकार भी नहीं होते । 
 खाज व खुजली में  नीम का रस और करेले का रस  मिलाकर खाल पर मालिश की जाए तो आशातीत सफलता मिलती है ।  
 फोड़ा न पके तो इसकी जड़ घिसकर फोड़े पर लगा दें ।  फोड़े की पस निकल जाएगी । 

 हल्दी (turmeric)  ;  त्वचा पर खुजली है तो aloe vera के गूदे में हल्दी को मिलाकर अच्छे से मलें ।   

घृतकुमारी ( aloe vera)  ;  खुजली होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें ।     

मेंहदी (henna )  ;  त्वचा के सभी रोगों के लिए, चाहे वह eczema हो या psoriasis ; पैर की अँगुलियों के बीच में गलन हो , या फुंसियाँ हो ; सभी के लिए मेंहदी और नीम के पत्ते पीसकर लगाइए ।  

अंजीर (fig )  ;   इसके रोज़ लेने से फोड़े फुंसी नही होते ,  रक्त शुद्ध रहता है । 

अपामार्ग , लटजीरा  ;    त्वचा में खाज - खुजली होने पर इसके पत्ते पानी में उबालकर स्नान करें । 

curry leaves  ;    अगर फुंसी हों तो इसके पत्तों को पीसकर पेस्ट की तरह लगायें । खुजली या दाने होने पर इसकी जड़ की छाल को घिसकर लगायें ।  

गूलर (cluster fig)  ;  फोड़ा फुंसी बार बार हो रहा हो तो इसकी छाल पीसकर लगा लें । 

पलाश ( flame of the forest )  ;  खाज खुजली हो तो इसकी पत्तियां पीसकर लगा लें और पी भी लें ।  फोड़े फुंसी हों तो इसके पत्ते गर्म करके पुल्टिस बांधें ।  

थूहर  ;  फोड़े होने पर इसके पत्ते गरम करके बांधे जा सकते हैं । 
            अगर खाज खुजली या चमला की बीमारी है तो 1-2 चम्मच सरसों के तेल में इसके दूध की 4-5 बूँदें अच्छी तरह मिलाकर लगायें . अगर eczema या psoriasis की बीमारी है तो इसका तेल बनाकर लगाएँ. इसे किसी बोरे में कूटकर दो लिटर रस निकालें.  इसे आधा लिटर सरसों के तेल में मिलाकर धीमी आंच पर पकाएँ . जब केवल तेल रह जाए तो इसे शीशी में भरकर रख लें और त्वचा पर लगाएँ ।     

सहदेवी ;   अगर रक्तदोष है , खाज खुजली है  तो 2 ग्राम सहदेवी का पावडर खाली पेट लें।  

गेहूँ  ;   फुंसी पकाने के लिए फुंसी पर छोटी सी रोटी एक तरफ सेक कर बीच में छेद करके रखें। सवेरे तक पस निकल जाएगी। 
खाज खुजली होने पर या eczema होने पर गेहूँ का तेल लगाएँ।  तेल पाताल यंत्र से निकाला जा सकता है।  एक मिटटी की छोटी सी मटकी के नीचे की तरफ छेद कर दें , फिर मटकी में गेहूँ भरकर मटकी के नीचे एक बर्तन रख  दें। मटकी को ऊपर से ढक दें।  मिटटी में छोटा सा गड्ढा करके उस में ये पाताल यंत्र रख दें।  ऊपर उपले लगा दें।  जब उपले पूरे जल जाएँ तो आप नीचे वाले बर्तन में गेहूं का तेल इकट्ठा हुआ पाएँगे।  

कालमेघ  ;  त्वचा की कान्ति बढानी है , मुंहासे , झाइयाँ , दाद , खुजली की परेशानी है तो ,2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें।  सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें। 

कचनार  ;   कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है । 10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें।  इससे सभी तरह की गांठें, फोड़े, फुंसी आदि खत्म होते हैं । 

रतनजोत (onosma)  ;    इसके पत्तियों के सेवन से रक्त शुद्ध होता है और दाद, खाज और खुजली से छुटकारा मिलता है ।