Monday, December 22, 2014

सर्दी , ज़ुकाम , sinus, allergy , throat, nose !

सरसों  ;     सरसों के तेल में लहसुन की कलियाँ सुर्ख होने तक भूने । फिर इस तेल को पैरों के तलवों में भली प्रकार मलें । इससे सर्दी , ज़ुकाम और छींकों की परेशानी से राहत मिलती है ।

अगस्त्य (sesbania)  ;  सर्दी एलर्जी या sinus की बीमारी में , इसके पत्तों के रस की बूँदें खाली पेट सुबह दोनों नाकों में डालें . यह लगेगी तो जरूर परन्तु बलगम निकल जाएगा । 

कूठ (costus) ;  सर्दी ज़ुकाम होने पर इसका पावडर दूध , शहद या पानी के साथ लें ।  इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है ।

चांगेरी (indian sorrel) ;   कफ , sinus , बलगम या एलर्जी हो तो इसके पत्तों के रस में थोडा सा पानी मिलाकर दो दो बूँद नाक में डालें ।  पानी न मिलाया जाए तो इसका रस नाक में बहुत लगता है । 

बबूल या कीकर ;     कफ , बलगम ,एलर्जी की समस्या हो तो इसकी छाल +लौंग +काली मिर्च +तुलसी को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें । 

बहेड़ा ( bellaric myrobalan)  ; Thyroid की समस्या में भी यह लाभ करता है ।      

द्रोणपुष्पी  ;    Sinus या पुराना सिरदर्द है तो इसकी पत्तियों के रस में दो गुना पानी मिलाकर चार चार बूँद नाक में डालें ।  यह केवल 3-4 दिन करने से ही आराम आ जाता है और जमा हुआ कफ भी बाहर आ जाता है ।
 विभिन्न एलर्जी और बीमारियों को दूर करने के लिए द्रोणपुष्पी का सत भी लिया जा सकता है . 
             इसका सत बनाने के लिए , इसके रस में दो गुना पानी मिलाकर एक बर्तन में 24 घंटों के लिए रख दें . इसके बाद ऊपर का पानी निथारकर फेंक दें और नीचे बचे हुए residue को किसी चौड़े बर्तन में फैलाकर छाया में सुखा लें . तीन चार दिन बाद यह सूखकर पावडर बन जाएगा . इसे द्रोणपुष्पी का सत कहते हैं . इसे प्रतिदिन आधा ग्राम की मात्र में लेने से सब प्रकार की व्याधियां समाप्त हो जाती हैं . और अगर कोई व्याधि नहीं है तब भी यह लेने से व्याधियों से बचे रहते हैं , प्रदूषणजन्य बीमारियों से भी बचाव होता है । 

निर्गुण्डी (vitex negundo )  ;  गण्डमाला , tonsil या गले में सूजन हो तो इसके पत्ते उबालकर सवेरे शाम गरारे  करें और इसकी जड़ के छिलके को पीसकर गले में लेप करें ।  टांसिल की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जायेगी . ज़ुकाम , खांसी , sinus या एलर्जी  की समस्या हो तो इसके पत्ते उबालकर चाय की तरह पीते रहें । 

दूधी, दूधिया घास (milk hedge)  ;  नकसीर आती हो तो सूखी दूधी पीसकर मिश्री मिलाकर लें । 

महानिम्ब , बकायन ( bead tree)  ;  गले में गण्डमाला हो ,goiter हो या शरीर में कहीं भी गांठें हों या excess fats deposition हो गया हो, तो इसकी पत्तियां +छाल +इसके बीज बराबर मात्रा में मिलाकर , एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें । 

धातकी (woodfordia)  ;  नकसीर के लिए इसकी कोमल पत्तियों के रस की बूँदें नाक में ड़ाल दें । इसकी पत्तियों के रस में मिश्री मिलाकर लेने से हर प्रकार की bleeding बंद हो जाती है । नकसीर की समस्या तो इस रस  के शर्बत को लेने से हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है ।    

वासा (malabar nut)  ;  Sinus की समस्या में इसके पत्तियों के रस की 4-4 बूँद नाक में डालें ।  सारा कफ निकल जाएगा ।  किसी भी तरह की एलर्जी को भी यह ठीक करता है । 

मुलेठी (licorice root)  ;    गला खराब होने पर मुलेठी चूसने के लिए कहा जाता है ।   इसके औषधीय प्रयोग के लिए इसकी जड़ को प्रयोग में लाया जाता है ।  संस्कृत में इसे मधुयष्टिका कहते हैं ; अर्थात मीठी डंडी ! इसे चूसने पर यह मीठी लगती है . गला खराब होने पर मिश्री और काली मिर्च के साथ इसे चूसें ।  जिन्हें अधिक बोलने का कार्य करना होता है उन्हें इसका प्रयोग करते ही रहना चाहिए ।    पंचकोल (पीपल , पीपलामूल , चित्रक , चव्य, सौंठ ) का काढ़ा लेने से गले की thyroid की बीमारी ठीक होती है । 

पिप्पली (long pepper)  ;  स्वरभंग हो जाए तो पिप्पली का पावडर शहद के साथ चाटें । 

तेजपत्ता (bay leaves)  ;  Allergy या छींकें आने पर तेजपत्ते का काढ़ा पिलायें ।  नकसीर आती हो तो इसकी पत्तियां उबालकर मसलकर छानकर पिलायें । 

ब्राह्मी  ;   अपना गला सुरीला करना हो  ; तो ब्राह्मी और मुलेटी मिलाकर सवेरे शाम लें .

चित्रक (leadwort) ;  अगर नकसीर की समस्या हो तो बच्चे को आधा ग्राम और बड़े व्यक्ति को एक ग्राम जड़ का पावडर दें । तुरंत लाभ होगा ।   गले के रोगों में इसकी जड़ , मुलेटी और 2 -3 तुलसी के पत्ते का काढ़ा पीयें । कफ रोगों में पंचकोल (चित्रक , चव्य, पीपल ,पीपलामूल , सौंठ ) की 2-3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटें ।  ज़ुकाम हो तो पंचकोल का काढ़ा सवेरे शाम पीएँ । 

भृंगराज   ;   sinus की समस्या में इसकी साफ़ पत्तियों और कोमल टहनियों का रस 4-4 बूँद नाक में डालें । 

भारंगी (turk's turban moon)  ;   Goitre की समस्या हो तो इसके पत्तों का काढ़ा सवेरे शाम लें |  Thyroid की परेशानी तो यह जड़ से खत्म कर देता है |  इसके लिए 3 ग्राम भारंगी के जड़ का पावडर +3 ग्राम त्रिकटु(सौंठ+पिप्पल +काली मिर्च ) का पावडर प्रात: सांय गर्म पानी से लें | 

 lemon grass  ;  कफ बलगम हों, अस्थमा हो या एलर्जी की समस्या ; सभी का इलाज है lemon grass |   इसके दो पत्ते लेकर अच्छी तरह रगडकर एक गिलास पानी में डालकर उबालें |  फिर छानकर पीयें . बहुत भीनी भीनी सुगंध भी आएगी और रंग तो सुंदर लगेगा ही . चाहें तो इसमें थोड़ी सी चीनी मिला सकते हैं |  इस चाय को बनाते समय इसमें  तुलसी के पत्ते भी ड़ाल दें ।  

दूब (grass)  ;  नकसीर हो तो इस घास के रस की चार चार बूँद नाक में डालें ।   

अकरकरा (pellitory root)  ;  गले में तकलीफ हो तो इसके 4-5 फूल +आम के पत्ते +जामुन के पत्ते उबालकर उसके काढ़े से गरारे करें ।   हिचकी आती हो तो इसका एक फूल चबाकर कुल्ला करें या इसकी आधा ग्राम जड़ को शहद में मिलाकर 2-3 बार चाटें । 
  जुकाम हो तो फूल का पावडर पीसकर नाक के चारों तरफ लगायें ।  

तुलसी (holi basil)  ;  स्वर भंग होने पर इसके 2-3 पत्ते  काली  मिर्च  और  मिश्री  के साथ  चूसें । 

मालती (rangoon creeper) ; सर्दी ज़ुकाम के लिए इसकी एक ग्राम फूल पत्ती और एक ग्राम तुलसी का काढ़ा बनाकर पीयें ।  यह किसी भी तरह का नुकसान नहीं करता । यह बहुत सौम्य प्रकृति का पौधा है ।      

दमबेल tylophora indica)  ;  सर्दी या जमा हुआ कफ हो तो तुलसी ,अदरक ,लौंग और दमबेल के 2 पत्ते डालकर काढ़ा बनाकर पीयें । Sinus की बीमारी में भी यह बहुत मददगार है ।  

सफ़ेद प्याज (white onion)  ; नकसीर होने पर इसके रस की बूँदें नाक में डालें . और इसे आधा काटकर गले में लटका लें ।  और गर्मियों में लू से बचने के लिए पूरी प्याज जेब में रखें । और लू लग ही जाए तो प्याज के रस की मालिश करें । 

अंगूर (मुनक्का ) grapes ;  नकसीर आती हो तो 4-5 मुनक्का रात को भिगोकर सवेरे खाएं ।  

पीपल (sacred fig) ;  अगर हिचकी की समस्या है  तो पीपल के जलते हुए कोयले को पानी में डालकर बुझायें ।  इस पानी को निथारकर मरीज़ को पिलायें ।  अगर जलता हुआ कोयला न ले सकें तो इसके कोयले और राख को पानी में उबालें और उस पानी को निथारकर पिलायें ।   
 किसी को नकसीर आती हो तो उसे लिटाकर इसके कोमल पत्तियों का रस 4-4 बूँद नासिका में डालें ।  अगर सवेरे खाली पेट इसके कोमल पत्तों का रस 4-5 चम्मच लगभग दस दिन तक लगातार लिया जाए तो नकसीर बार-बार नहीं होती । 

नागफनी (prickly pear)  ; नागफनी को संस्कृत भाषा में वज्रकंटका कहा जाता है ।  इसका कारण शायद यह है कि इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं ।  पहले समय में इसी का काँटा तोडकर कर्णछेदन कर दिया जाता था । इसके  Antiseptic होने के कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी ।  कर्णछेदन से hydrocele की समस्या भी नहीं होती। 

वरुण (three leaf caper) ; गले में गाँठ या tonsils हों तो इसकी छाल का काढ़ा लें ।  गले में सूजन हो तो 1gm काली मिर्च , 1gm त्रिकुटा , 3gm बहेड़ा और 5gm वरुण की छाल लेकर इसका काढ़ा पीयें ।  इस काढ़े से thyroid और goitre की समस्याएं भी ठीक होती हैं ।    

आँवला  ;  नकसीर की समस्या के लिए सवेरे दो चम्मच  रस खाली पेट ले लिया जाए , तो बहुत आराम मिलता है ।  

हल्दी (turmeric)  ;  इसमें प्राकृतिक steroids होते हैं ।  हर प्रकार की एलर्जी इसको खाली पेट सवेरे लेने से ठीक हो जाती है । सर्दी ,ज़ुकाम हो तो कच्ची हल्दी तवे पर भूनकर गर्म पानी के साथ ले लें ।  रोज़ सवेरे खाली पेट दो या तीन ग्राम हल्दी प्रतिदिन लेने से छींकें व हर तरह की allergy भी खत्म होती है ।  

मेथी (fenugreek)  ;   सर्दी ,जुकाम होने पर मेथी दानों को अंकुरित करके भोजन के साथ लें । 

धनिया (coriander) ;  अगर गले में दर्द है , तो धनिया और काली मिर्च चूस लें।    मुख से दुर्गन्ध आती हो या गले का infection हो तो आठ दस धनिए के दाने चूसते रहें ।  इससे पेट भी ठीक रहेगा ।  

घृतकुमारी (aloe vera)  ;  सर्दी , जुकाम हो जाए  तो aloe vera  का प्रयोग करें । किसी प्रकार की एलर्जी हो तब भी इसका प्रयोग लाभदायक है । 

पालक (spinach )  ;  गले में दर्द हो तो पालक थोडा सा लें , उसे उबालें और उसमें नमक डालकर गरारे करें । 

गेंदा (african merigold )  ;   इसके पत्तों के रस में गरम पानी मिलाकर नमक डालकर गरारे करने से गले में भी लाभ होता है ।
 इसके 3-4 ग्राम सूखे फूल पत्तियों का काढ़ा पीयें ।  इसमें तुलसी और काली मिर्च दाल दें तो और भी अच्छा है ।  इस काढ़े को पीने से allergy भी ठीक हो जाती है । 

छुईमुई ( touch me not)  ;   इसके जड़ के टुकड़ों के माला बना कर गले में पहन लें | इसकी जड़ के टुकड़े त्वचा को छूते रहें ; बस इतने भर से गला ठीक हो जाता है ।  इसके अलावा इसकी जड़ घिसकर शहद में मिलाये ।  इसको चाटने से , या फिर वैसे ही इसकी जड़ चूसने से खांसी ठीक होती है । इसकी पत्तियां चबाने से भी गले में आराम आता है । 
Goitre  की या tonsil की परेशानी हो तो , इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लेप करें । 

अनार (pomegranate )  ;    इसके फूल की कली का रस नाक में टपकाने से नकसीर बंद हो जाती है । इसकी कलियों को सुखाकर 2-3 कलियों की चाय पी जाए तो सर्दी , जुकाम और खांसी आदि नहीं होते । 

जामुन  ;  स्वर भंग हो गया हो तो इसकी छाल या पत्तों के गरारे करें।   

मरुआ  ;   सर्दी , जुकाम हो तो मरुआ +सौंफ +मुलेटी का काढ़ा लें। 

अपराजिता ;  टांसिल बढ़ जाने पर इसके और अमरुद के पत्ते पानी में उबालकर , उसके गरारे करें।  इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लेप करें। 

कालमेघ  ;  सर्दी जुकाम होने पर कालमेघ , गिलोय और आंवले का पावडर या काढ़ा ; दोनों ही ले सकते हैं।  
2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें ।  सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें । इससे एलर्जी और सर्दी- जुकाम  ठीक होते हैं। थोड़ा गुनगुना करके लें । 

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