Friday, December 25, 2015

दिल्ली में snowfall!

न्यूज़ चैनल में समाचार देखने में मेरी बड़ी रूचि है । "आज कश्मीर में snowfall हुआ । सभी को snow गिरते देख बहुत मज़ा आया ।" यह समाचार सुनकर हम सबको और अधिक सर्दी महसूस होने लगी। लेकिन नन्हा रुद्रांश भी तो यह सब सुन रहा था । वह बहुत खुश हो रहा था।
वह अक्सर अपने पापा के साथ दिल्ली मेट्रो से घूमता रहता है । रास्ते में कश्मीरी गेट नाम का एक स्टेशन आता है । अपनी कल्पना से शायद नन्हें रुद्रांश ने कश्मीर और कश्मीरी गेट में सामंजस्य बिठा लिया। उस समय तो वह मन में ही शायद कुछ सोच रहा होगा। परन्तु वह कुछ बोला नहीं ।
दोपहर को बाहर धूप में चारपाई बिछाकर मैंने उसे बैठाया। अनार के दाने निकालकर मैं उसे खिला रही थी। तभी रुद्रांश की आवाज़ सुनकर साथ वाले घर से हमारे पडोसी भी बाहर धूप सेकने के लिए आ गए। उन्हें रुद्रांश से बहुत प्यार है। रुद्रांश बहुत ही बातूनी है । वह उनको अपने मन की सारी बात बताता रहता है। कोई नया डांस स्कूल में सीखता है, तब भी वह उन्हें अवश्य ही करके दिखाता है । वे भी उत्सुक रहते हैं कि रुद्रांश आज क्या नई बात बताएगा ? उन्हें देखते ही रुद्रांश बोल उठा," आज हम snowfall देखने जाएँगे । "
"अच्छा! कब?" वे हैरान होकर बोले ।
"बस अभी-अभी! मेट्रो से जाएँगे। " रुद्रांश जल्दी से बोल गया।
वे और भी ज़्यादा हैरान हो गए । "मेट्रो से? मेट्रो से snowfall देखने कैसे जाओगे? snowfall तो कश्मीर में होता है।"
" हाँ! हाँ! हम कश्मीरी गेट जाएँगे। वहाँ snow देखकर बड़ा मज़ा आएगा। वहाँ बर्फ गिरती है। वहां Santa भी आता है ; लाल टोपी पहनकर! आप भी चलना हमारे साथ। " रुद्रांश उत्साह में बोलता ही जा रहा था । " मैं आपको ज़रूर लेकर जाऊंगा वहाँ ।"
अच्छा! तो अब सारी बात समझ में आई। रुद्रांश ने जो सुबह समाचार देखे थे; उस कश्मीर का कश्मीरी गेट के साथ ताल मेल बिठा लिया। मैं बहुत हैरान हुई कि यह नन्ही सी जान क्या क्या कल्पना कर लेता है!
मैंने अपने असमंजस में पड़े पडोसी को जब सब बात समझाई, तो वे बड़े अचम्भित भी हुए और प्रसन्न भी!
उन्होंने रुद्रांश के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और बोले, " भई वाह! मज़ा आ गया। दिल्ली में ही snowfall का लुत्फ़ उठाने,  मैं ज़रूर चलूँगा तुम्हारे साथ।"
रुद्रांश भी बहुत मासूमियत से बोला, " मैं पापा को कहकर आपको अपने साथ ले चलूँगा । ठीक है?"
उन्होंने कहा ,"done!"  और मुस्कुराते हुए अपने घर चले गए ।

Monday, December 14, 2015

सलाद कब खाएँ ?

किसी भी पार्टी में जाएँ, तो सलाद बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए । वह ठीक तरह से धुला नहीं होता और यह भी पता नहीं कि कब उसे काटकर रख दिया गया है ।
घर में किसी भी प्रकार के सलाद को पहले गर्म पानी से अच्छी तरह धो लें । फिर उसे ठन्डे पानी में धोकर छील कर खाएँ । चाहें तो टुकड़े कर लें । सलाद में नमक नहीं डालना चाहिए । ज़रूरी नमक की मात्रा तो उसमें मौजूद होती ही है । ऊपर से नमक बुरकने पर सलाद पानी छोड़ देता है । इसमें ज़रूरी खनिज व विटामिन पानी के साथ ही निकल जाते हैं ।
पत्ते वाले सलाद विशेष तौर पर भली प्रकार से धोएँ । इनमे cyst नहीं रहनी चाहिए वरना ये मस्तिष्क में भी पहुंच सकती है ।
सलाद भोजन से पहले खाने से जीभ साफ़ हो जाती है । इससे हम भोजन के स्वाद का भरपूर आनन्द ले सकते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन से पहले सलाद खाने से भोजन की मात्रा भी अधिक नहीं खाई जा पाएगी । इससे मोटापा नहीं बढ़ेगा ।
सलाद भोजन के अंत में तो अवश्य ही खानी चाहिए । इससे दांतों के बीच में जमे हुए खाने के अंश निकल जाते हैं और दाँत भी साफ़ हो जाते हैं । सलाद से मसूढोंं की मालिश भी हो जाती है ।

Sunday, December 13, 2015

लो, जाड़े आ गए!

धुंध की सफ़ेद रज़ाई ओढ़े
सूरज की अलाव तापते,
कंपकंपाते बदन,  ढाँपते;
सकुचाते, दाँत किटकिटाते,
लो, जाड़े आ गए!
नरम नरम धूप की गर्मी पिघल गई,
सर्द हवा सन सन कर कान पर फिसल गई,
गर्दन पर मफलर की गाँठ अब संभल गई,
पेड़ों के पत्तों पर कोहरा बरसा गए।
लो, जाड़े आ गए!
मोटे से वस्त्रों में दुबला तन गदराया,
सूरज को देख देख पुलकित मन हरषाया,
सर्द हवा बह निकली अब तो मन घबराया,
अंबर को ढ़कने ये बादल क्यों आ गए ?
लो, जाड़े आ गए!
चूल्हे की गर्म तपिश आनन्दित कर गई,
दहकते कोयलों पर लो चाय उबल गई,
गर्म पकौड़ों को तबियत मचल गई,
गज्जक, रेवड़ी खाने के दिन आ गए।
लो, जाड़े आ गए!
गर्म ऊनी कपड़ों से घर भर भर गया,
गुदगुदाते कंबलों से बिस्तर निखर गया,
नींद की आहट हुई तो स्वेटर उतर गया,
नर्म गर्म रज़ाई में सोने के पल आ गए।
लो, जाड़े आ गए!

Saturday, December 12, 2015

नटखट भोलू !!

 "बेटे!  ज़रा कैंची  तो लाना किचन से।" मैं रुद्रांश को कह रही थी। असल में एक मोटा धागा काटना था। वह हाथ से तोडा नहीं जा सकता था इसीलिए छोटी कैंची चाहिए थी।
 " बर्तनों के रैक के नीचे हुक पर लटकी है। जल्दी लाओ बेटे। "
रुद्रांश लपककर किचन में गया। वापिस आया तो उसके हाथ में पिज़्ज़ा कटर था!
 बात यह है कि कैंची के साथ वाले हुक में पिज़्ज़ा कटर लटका हुआ था। वह उसे उठा लाया।
 मेरे पास आकर बोला , " इससे धागा काट लो नानी।"  मैं हँसने लगी ," अरे शैतान! धागा क्या पिज़्ज़ा कटर से काटूँगी ? इससे तो पिज़्ज़ा काटते हैं ; सैंडविच काटते हैं ; कोई धागा थोड़े ही इससे काटते हैं।"
" हाँ , हाँ ! इससे धागा भी कट सकता है ।" तीन वर्षीय रुद्रांश बड़े आत्मविश्वास के साथ कह रहा था । " आप काटो तो सही ।"
" अरे बुद्धू ! इससे इससे धागा नहीं कटेगा। जा, जाकर छोटी कैंची लेकर आ।" मैंने उसे भगाना चाहा।
मेरी बेटी मुस्कुराते हुए सब कुछ देख रही थी। उसने मुझे बताया कि रुद्रांश के दूसरे हाथ में कैंची है और वह उसने अपनी कमर के पीछे रखा हुआ है।
मुझे उसके नटखटपन ने इतना लुभाया कि मैंने मुस्कुराते हुए प्यार से उसे सीने से लगा लिया। लेकिन वह फिर भी बड़े भोलेपन से पूछ रहा था,
 "पिज़्ज़ा कटर से धागा क्यों नहीं काट सकते?" 

Monday, November 23, 2015

श्वेत अमृत!

दूध को अमृततुल्य बताया जाता है । दूध में लगभग वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे शरीर के लिए नितांत आवश्यक हैं । दूध के साथ नमक का प्रयोग निषेध है । मूली या करेला आदि भी दूध के साथ नहीं खाए  जाते ।
आम और ठंडा दूध साथ साथ लें तो शरीर हृष्ट पुष्ट होता है। गर्म दूध के साथ खजूर का भी खूब मेल है । रात को गर्म दूध पीने से नींद अच्छी आती है । दूध के साथ कई ताकत की दवाइयाँ भी ली जाती हैं ; जैसे अश्वगंधा , शतावर आदि ।
दही बहुत जल्दी पच जाती है । एक ग्राम दही में 2 million बैक्टीरिया होते हैं । ये हमारी  आँतों में पहुँच कर वहां मौजूद flora की quality को improve करते हैं । इससे हमे पाचन सम्बन्धी समस्याएँ बहुत कम होती हैं । दही का भोजन में अवश्य प्रयोग करना चहिए ।
दिन ढलने के बाद दही का प्रयोग नहीं करना चाहिए । 

Thursday, October 22, 2015

आचमन!

भोजन करने पहले कफ प्रबल होता है , इसीलिए भोजन से पहले आचमन का विधान है ।
भोजन करने से पहले 1 -2 घूँट पानी पी लेना चाहिए । चाहे अंजलि में लेकर पीएँ या गिलास से घूँट भरें । इससे गले की श्लेष्मा दूर होती है और पेट की जठराग्नि तीव्र होती है ; जिससे पाचन भली प्रकार होता है ।
खाने से पहले अधिक पानी न पीएँ ।
कोयले की जलती हुई  आग में पानी के दो चार छींटे मारे जाएँ तो आग तेज़ होती है ; लेकिन आग में अधिक पानी डाल दें तो वह बुझ जाएगी । इसी प्रकार खाने से पहले अधिक पानी पीने से भूख मर जाती है । लेकिन पानी का आचमन करने से भूख बढ़ती है । 

कहानी की वास्तविकता

संवेदनाओं के झूठे इतिहास
रच रच रचनाकार हार गए
वास्तविकता से जूझे कौन?
अपने अंतर्मन को कर मौन
कल्पनाओं के झुरमुट में
बुन डाला ताना बाना
अपरिचित व्यथा कथा
भुलाती निज व्यथा
पर दुःख में सुख अन्वेषण
कर लेता मानव मन
अपना समुद्र सा संताप
पचा पाना है दुस्तरतम
अपनी कथा गढ़ते गढ़ते
अस्तित्वहीनता का अवबोधन
घायल करता तन मन
और लेखक तब बाध्य हो
पर व्यथा की कहानी
कल्पना पर अवलम्बित कर
रखता है प्रस्तुति
सार्वजनिक पटल पर
भावविभोर हर्षित पाठक
आननदरस मग्न हो
भूल जाता है अपनी वास्तविकता
सच यह है कि
हर शख्स इक कहानी है
विडंबना है यह कि
निज कहानी का रसास्वादन
कौन कर पाया अब तक ?

Sunday, October 18, 2015

जागी अब ज़िन्दगी!

 ताज़ी सी खुशबू को किरणों में बुनती सी 
धूप में नहाई, मुस्कुराई ज़िन्दगी
जीवन की आस भरी, आशा की सांस लिए
अंगड़ाई तोड़ती, मस्ती भरी ज़िन्दगी
बीते चलचित्रों की परछाई निहारती
निखरे से दर्पण में धुलती हुई ज़िन्दगी
बोझिल से अनुभव की अनचाही गठरी को
कांधे से उतारकर, हल्की हुई ज़िन्दगी
बंधन सब मुक्त हुए, नवस्वप्न उद्दीप्त हुए
नवस्वतंत्र राहों पर चलती ये ज़िन्दगी
चाहों की मस्ती में, गुनगुनाते गीत नए
नवजीवन पाने को आतुर ये ज़िन्दगी
सरलता के प्रांगण में, प्रेमरस फुहार सी
मन-उपवन सिंचित कर, बरसी ये ज़िन्दगी
लक्ष्य कोई बाँध नया, छोटे से जीवन का
उमंग भर साहस में, उमगी ये ज़िन्दगी
आशा के  परदे पर कौतुक के नृत्य दिखा
थिरकती हर पल में, उल्लसित ये ज़िन्दगी
मन के हर बंधन के जीर्ण तार तोड़कर
चाहों की चाह से उन्मुक्त हुई ज़िन्दगी
स्वप्नों के आँचल से तारों को बीनकर
अपने पर वारती, निहारती ये ज़िन्दगी
सूनापन सुप्त हुआ, मन कंचन मुक्त हुआ
झूठी परतंत्रता उतार, जागी अब ज़िन्दगी

Tuesday, June 30, 2015

करदर्शन !!

प्रात: काल उठकर करदर्शन करना चाहिए । कर का अर्थ है , हाथ । अपनी दोनों हथेलियों को देखना चाहिए । करमध्ये वसति लक्ष्मी । 
वास्तव में कर ही नहीं; अपने मुख व पूरे शरीर के दर्शन शीशे में कर लेने चाहिएँ । अगर हम सुबह सुबह अपने चेहरे को ध्यान से देखें , तो आने वाली कई बीमारियों से बचा जा सकता है । सुबह आँखों के नीचे सूजन हो , चेहरे पर सूजन हो , हाथो - पैरों में कुछ विसंगति प्रकट हो रही हो तो एकदम पकड़ में आ जाती है ; और तुरंत उसका उपचार भी किया जा सकता है । बाद में जैसे जैसे हम दैनिक दिनचर्या में व्यस्त हो जाते हैं तो ये लक्षण क्षीण होते जाते हैं । फिर हम बीमारी को बड़े दिनों बाद पकड़ पाते हैं ; जब वह काफी बढ़ जाती है । 
तो यह हमारे शरीर के लिए अच्छा रहेगा , अगर हम सुबह उठते ही करदर्शन के साथ पूरे शरीर को भी आईने में एक बार देख लें । 

सुबह जल्दी क्यों उठें ?

हमारा शरीर वात , पित्त और कफ इन तीनों के संयोग से काम करता है । इनके संतुलन में गड़बड़ होने से शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है ।

वात -   शरीर की सभी क्रियाओं को गति प्रदान करने का कार्य वात करता है । चाहे वह blood circulation की क्रिया हो ,या मल विसर्जन की ; वात ही सभी कार्य संपन्न करता है ।

पित्त - पित्त ऐसे सभी कार्य करता है ; जिसमे अग्नि की आवश्यकता हो । पाचन के कार्य में अग्नि की आवश्यकता होती है ।

कफ - शरीर में चिकनाहट या स्निग्धता बनाए रखना कफ का कार्य है ।

सुबह कफ प्रबल होता है । दिन में पित्त प्रबल होता है । रात्रि में वायु की प्रबलता होती है ।

रात्रि में वायु की प्रबलता बढ़ने से पहले ही सो जाना चाहिए । इससे गहरी नींद आएगी और पाचन तन्त्र भी भली प्रकार कार्य करेगा । लहभग 10 बजे के आसपास तो सो ही जाना चाहिए ।
सवेरे वायु की प्रबलता कम होने से पहले ही उठ जाना चाहिए । यह वाट और कफ का संधिकाल होता है । वायु का वेग मल को नीचे धकेलता है ; जबकि कफ (आँतों की चिकनाहट) मल को सुगमता से बाहर करने में मदद करती है ।

इस प्रकार सुबह उठने पर सुगमता से और भली प्रकार पूरी तरह से मल विसर्जन होता है ।

देर से उठने पर शरीर में वात अर्थात गति का प्रभाव कम हो जाने से मल विसर्जन में कठिनाई आती है । कफ का प्रभाव बढ़ने कारण मल आँतों में  चिपक जाता है । फलत: कब्ज़ की शिकायत होने लगती है ।
इसलिए सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए ।


Wednesday, June 24, 2015

मेरी हवाई यात्रा !

हवाई यात्रा का समय बहुत अधिक लम्बा हो तो बड़ी उम्र में कष्टदायक हो सकता है । सीट पर पांव फ़ैलाने के लिए पर्याप्त स्थान ही नहीं होता ; इससे परेशानी यह होती है की पैरों में खून उतर आता है । पांव सुन्न हो जाते हैं और उनमे सूजन भी होने की आशंका रहती है ।  इससे बचने का सबसे उत्तम उपाय यह है की गाया-बगाया  चहलकदमी करते रहा जाए । लघुशंका के लिए या फिर विमानपरिचारिकाओं से गप्पबाज़ी के लिए अथवा पीछे की तरफ जाकर कुछ खाने पीने की सामग्री लाने के लिए ही सही;  यानि कुछ भी क्रियाशीलता  आवश्यक है केवल पैरों को हरकत में रखने के लिए !
             मैं हमेशा ही ऐसी सीट ही बुक कराती हूँ जिससे कि बीच के रास्ते में आराम  आ- जा सकूँ । इस बार बगल के सहयात्री एक अमेरिकन महोदय थे; शिष्टाचार से भरपूर । अमेरिका के लोग भयवश शिष्टाचारी होते हैं , या वंशानुगत तौर पर; यह संशय का विषय हो सकता है । लेकिन यह निर्विवाद सत्य है कि औपचारिक तौर पर  वे शिष्टाचार में भरपूर विश्वास रखते हैं । लेकिन यह भी सच है कि शिष्टाचार निभाने के चक्कर में वे अपने से कोई समझौता भी नहीं करते ।
            बहरहाल, मेरे सहयात्री ने मुस्कुराकर इशारा किया कि मेरे बगल वाली सीट उनकी है । मैं भी उठी और वे महोदय अपने पूरे ताम-झाम के साथ सीट पर बैठ गए । मैंने भी अपना स्थान ग्रहण किया । उन्होंने एक छोटा झोला अपने सामने वाली सीट के पीछे की ओर एक knob को खींचकर उस पर लटका दिया। मुझे तो यह बात पसंद नहीं आई । सीट के पीछे जो टी वी स्क्रीन होता है, मैं तो उस knob का सम्बन्ध उससे लगाती थी । परन्तु इन महाशय ने तो उसे खींचकर उस पर अपना झोला ही टांग दिया ! उसमे से कुछ नमकीन निकालकर उन्होंने  खाना भी शुरू कर दिया । बड़े बेफ़िक़्रे से लग रहे थे । कुछ देर तो मैं सोचती रही । फिर मैंने पूछ ही लिया कि  कहीं वह  knob  टी वी लिए तो नहीं है ? वे महाशय कुछ मुस्कुराते हुए बोले कि वह knob तो कुछ टांगने के लिए ही है । आप भी इसे इस्तेमाल कर सकती हैं।  यह सुनकर मैंने भी अपना बैग knob पर लटका दिया।
         कुछ समय बाद सभी यात्री अपने में व्यस्त हो गए। कोई टी वी देख रहा था , कोई अखबार पढ़ रहा था, कई व्यक्ति गपशप में मग्न थे तो किसी किसी को नींद की झपकियाँ आ रही थीं ।  मैं भी सोने की कोशिश करने लगी । थोड़ी नींद आने को ही थी कि चहल पहल शुरू हो गई। विमान परिचारिकाएं रात्रि का भोजन परोस रहीं थीं । अधिक भूख तो नहीं थी। वैसे भी मुझे भूख कम ही लगा करती है । खैर, जैसे तैसे कुछ खाना खाया और कुछ ऐसे ही छोड़ दिया। सलाद खाना मैंने आवश्यक समझा। इसीलिए सलाद तो खाई ही, साथ में परोसी हुई उबाली हुई लोबिया का भी ज़ायका ले लिया।
                  खाने का कार्यक्रम खत्म होते ही अँधेरा कर दिया गया जिससे कि सभी यात्री सो सकें । मैं भी सोने की कोशिश करने लगी । नींद तो नहीं आई लेकिन आँतों में वायु का बढ़ता तीव्र वेग परेशान करने लगा । विमान की सीट पर वैसे ही 15 घंटे के लिए लगातार बैठना दूभर होता है। आँतों  के तीव्र वायु वेग से मुक्ति पाने के लिए थोड़ा इधर उधर तो होना ही पड़ता है। मुझे आमतौर पर ऐसी कोई समस्या पेश नहीं आती । लेकिन असमय का भोजन , कम नींद और शायद सलाद और लोबिया ;  सभी कारण मिलकर मेरे लिए समस्या को जन्म दे रहे थे ।                                                      
कुछ समय तक तो अमरीकी महाशय सोते रहे । वे लम्बे सफर के आदी थे । बाद में उन्होंने मुझे परेशान सा महसूस किया । उनकी भाव मुद्रा से प्रतीत हो रहा था की शायद वे मेरी परेशानी जानना चाहते थे, मेरी मदद करना चाहते थे । मुझे तो खुद कुछ समझ में नहीं  रहा था । वायुमुक्त होने की मेरी गति में इजाफ़ा होने से उनकी भी परेशानी बढ़ती जा रही थी । अचानक उन्होंने अपने ऊपर डिओडरेंट स्प्रे करना शुरू कर दिया । मुझे डिओडरेंट से अच्छी-खासी एलर्जी है । मेरी समस्या अब दोगुनी हो गई ।  एक तो पहले ही गैस की परेशानी थी ; ऊपर से एलर्जी की समस्या और गले पड़ गई । मेरे सिर में हल्का हल्का दर्द होने लगा और उबकाई सी महसूस हुई । मैं सीट से उठी और झटपट वाशरूम  गई । वहाँ से कुछ राहत पाने  बाद मैं वापिस आकर सीट पर बैठ गई और सोने का प्रयत्न करने लगी ।
                    जैसे तैसे थोड़ी बहुत झपकी आई होगी शायद ! लेकिन सिरदर्द और भारीपन बरक़रार था । वे अमेरिकन महोदय टी वी का मज़ा  रहे थे। अभी दुबई पहुँचने में एक घंटा शेष था। मैंने अपने लिए थोड़ा आम का जूस मंगवाया और धीरे धीरे चुस्कियां लेने लगी ।
       दुबई पहुँचकर थोड़ी जान में जान आई। अन्य यात्रियों के साथ मैं भी उड़ान के प्रस्थान की प्रतीक्षा करने लगी। सिरदर्द बरक़रार था। बैचैनी और उबकाई महसूस हो रही थी । एक महिला यात्री ने उबकाई दूर करने के लिए दवा की पेशकश की। मैंने वह दवा ले ली परन्तु आराम उससे भी न हुआ। तभी मुझे लगा कि मेरा पासपोर्ट और यात्रा का पास कहीं खो तो नहीं गया। मैंने अपना पर्स भली प्रकार टटोला। मुझे कुछ न मिला। मेरे हाथ पाँव फूल गए। एक पल तो लगा कि अब क्या होगा ? सिरदर्द से बेहाल तो थी ही ; उस पर एक और मुसीबत। उफ़ ! मैं सोच रही थी कि अब क्या करूँ ?
             एक युवती ने मुझे परेशान देखकर कारण जानना चाहा। उसने मुझे ढाढ़स बंधाते हुए तसल्ली से एक बार फिर से पर्स को अच्छी तरह खंगालने के लिए कहा। उसने समझाया कि बिना घबराये, इत्मिनान से पर्स की एक एक चीज़ बड़े ध्यान से देखिये। आपको सब कुछ मिल जाएगा। मैंने बड़ी तसल्ली से एक एक पॉकेट ध्यान से देखी। पासपोर्ट और यात्रीपास वहीं पर थे। मेरी रुकी हुई सांस वापिस आई। मैंने उस युवती  धन्यवाद किया। वास्तव में जब हम घबरा जाते हैं ; तो सामने पड़ी हुई वस्तु भी नज़र नहीं आती।
             दुबई से विमान में बैठने के बाद भी तबियत ठीक न हुई । मेरी बगल में एक युवक बैठा था। उसने कहा कि कोई भी परेशानी की बात नहीं है। मैं आपके साथ हूँ । मुझे बता दीजियेगा। मुझे उबकाई आ रही थी । वमन बैग में वमन के बाद मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई। विमान परिचारिका मेरे लिए विभिन्न प्रकार के जूस लाई । मैंने उससे आम का जूस लिया और छोटी छोटी चुस्की लेती रही। थोड़ा आराम अनुभव हुआ तो झपकी भी आ गई। उड़ान के गंतव्य तक पहुँचने तक मैं अपने आपको काफी कमज़ोर महसूस कर रही थी। लेकिन फिर भी बेहद खुश थी कि परमपिता की कृपा से मेरी  हवाई यात्रा सकुशल सम्पूर्ण हुई ।

Thursday, April 2, 2015

ऋषि की नाराज़गी!

प्रात: काल की सैर के लिए घर से बाहर निकलने को ही थी कि याद आया, कि आज तो वैलेंटाइन डे है। बच्चों से बढ़कर कोई भी वैलेंटाइन नहीं हो सकता। और ऋषि तो है भी प्यार से भरा हुआ साक्षात महात्मा वैलेंटाइन !  मैंने उठाया एक कोरा पन्ना ; और बच्चों को प्यार भरे सन्देश लिखते हुए ऋषि को अपना वैलेंटाइन घोषित किया। इसके बाद इस सन्देश को एक गुलदस्ते में स्थापित करके मैं सैर के लिए निकल गई । मन बहुत प्रसन्न था । अवकाश का दिन था इसीलिए आराम से घूमकर वापिस आई ।
                  घर पर बच्चों ने बड़ी प्रसन्नता से मुझे प्यार से हैप्पी वैलेंटाइन डे बोला। वे बहुत खुश थे कि बड़ी उम्र में भी मुझे यह दिन अच्छा लगता है। मैंने बच्चों कोआग्रहपूर्वक कहा कि उन्हें बाहर घूमने, या फिर फिल्म  देखने और बाहर कहीं खाना खाने के लिए जाना चाहिए। पहले तो वे तैयार ही नहीं थे। परन्तु मेरे बार बार  कहने पर वे बाहर खाना खाने के लिए चले गए। नन्हा पांच मास का ऋषि, मेरा वैलेंटाइन, मेरे पास था ।
                खाना खाने के बाद बच्चे वापिस आए तो बहुत खुश थे । ऋषि मेरे कंधे पर सिर रखे हुए था । उसका मुँह पीछे की ओर था । पुत्रवधू इतनी प्रसन्न थी कि आते ही वह बुलंद आवाज़ में मुझे ढेरों धन्यवाद देने लगी। वह बोल रही थी कि अचानक नन्हा ऋषि रोने लगा। उसने मुँह पीछे ही रखा और जोर जोर से रोने लगा। एक पल तो मैं हैरान हुई कि यह तो कंधे पर आराम से मज़े कर रहा था ; तो रोने क्यों लगा ? लेकिन दूसरे ही पल सब कुछ समझ गई। मैंने पुत्रवधू को कहा," तू मुझसे बातें कर रही है । लेकिन तूने आते ही इसे गोद में नहीं उठाया।अब यह तेरी आवाज़ पहचानकर, कंधे पर पीछे की तरफ मुँह करके रोये ही जा रहा है। वह तेरी ओर मुँह भी नहीं कर रहा; क्योंकि यह  नाराज़ है । यह रोकर तुझसे शिकायत कर रहा है। ले जल्दी से इसे पकड़!"
    पुत्रवधू ने उसे गोद में लेकर प्यार किया । वह तुरंत चुप हो गया और शिकायत भरी नज़रों से उसकी ओर निहारने लगा जैसे कह रहा हो," मुझसे ही तो आपका वैलेंटाइन डे सम्पूर्ण है। मुझे कभी नज़र अन्दाज मत करना। वरना मैं नाराज़ भी हो सकता हूँ !"
     

Monday, February 9, 2015

white poison!

आयुर्वेद में आहार , विहार , व्यवहार , विचार और संस्कार ; इन सबका बहुत महत्व है ।
आहार सही है , तब भी दवा की आवश्यकता नहीं है और आहार गलत है तब भी दवा की आवश्यकता नहीं है । आहार सही है तो शरीर ठीक रहेगा ही ; आहार गलत है तो आहार को ठीक कर लेने से ही शरीर पुन: स्वस्थ हो जाएगा ।
आहार में white poison से परहेज करना अच्छा है । चीनी , नमक , मैदा , hydrogenated oils ; ये सभी इसी श्रेणी में आते हैं । इनका भोजन में कम से कम प्रयोग होना चाहिए ।
Hydrogenated oils का melting point 40 डिग्री सेल्सियस होता है ; जबकि शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है । यह इसीलिए आसानी से पच नहीं पाता । पच भी जाता है तो शिराओं , धमनियों में जम जाता है । इससे हृदय की बीमारियाँ होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है ।
Refined oils भी शायद कैंसर के कारकों में से एक हैं । ऐसा आधुनिक अनुसंधानों से ज्ञात हो रहा है । अत: raw vegetable oils ही प्रयोग में लाने चाहिएँ ।
चीनी और नमक बहुत कम , जितना बिलकुल जरूरी हो ; प्रयोग में लाने चाहिएँ । एक ग्राम नमक , 80 ग्राम पानी का retention कर सकता है जिससे शरीर में सूजन की प्रवृति हो सकती है । इसके अतिरिक्त अधिक नमक खाने से intestine में मौजूद beneficial bacteria भी नष्ट हो सकते हैं ; जो कि शरीर के लिए विटामिन बनाने में लाभकारी होते हैं ।
 अधिक चीनी खाना दांतों व आँतों के लिए अच्छा नहीं रहता ।
मैदा भी white poison के अंतर्गत आ सकता है । इसका प्रयोग कम करके मोटे आटे को ही अधिक प्रयोग में लाना चाहिए।


आसन और व्यायाम !

आसन और व्यायाम एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । " सर्वसुखम् आसनम् " । जो सुखपूर्वक क्रिया की जाए ; वह आसन कहलाती है । अगर उसी क्रिया को जल्दी जल्दी और प्रयत्न पूर्वक किया जाए तो वह व्यायाम कहलाता है । उदाहरणत: खड़े होकर , बाँयी हथेली से बाँये पाँव को छूने की कोशिश धीरे से करना त्रिकोण आसन कहलाएगा । लेकिन इसे जल्दी जल्दी बार बार इस तरह दोहराते रहना कि  हल्की सी थकावट भी महसूस हो ;  व्यायाम कहलाएगा ।
         ऋषियों ने विभिन्न प्रकार के प्राणियों का भली भाँति निरीक्षण किया और उससे कई प्रकार के आसनो का विधान किया । कहते हैं कि जितनी प्रकार की संसार में योनियाँ हैं ; उतने प्रकार के आसन भी हैं ।  फिर भी 84  प्रकार के आसन मुख्य माने जाते हैं ।
मण्डूक आसन ( मेंढक से ), मकरासन (मगरमच्छ से ), भुजंगासन (सांप से ) शलभासन (पतंगे से ) , शशकासन (खरगोश से ) , वृश्चिक आसन (बिच्छू से ) , मर्कट आसन (बन्दर से ) , मयूरासन (मोर से ), वृक्षासन (पेड़ से ) , पर्वतासन (पहाड़ से ) ;    आदि कुछ  आसनों के उदाहरण हैं ।
    ऐसा माना जाता है कि एक आसन में लगभग आधा मिनट ही रहना चाहिए । आसन प्रतिदिन करने चाहिएँ ; तभी लाभ होता है ।
व्यायाम भी प्रतिदिन करना चाहिए । सुबह खाली पेट आसन व  व्यायाम किये जाएं तो सर्वाधिक लाभ प्रदान करते हैं । व्यायाम में जब हल्की सी थकावट महसूस होने लगे तब व्यायाम रोक देना चाहिए । शरीर की प्रकृति व क्षमता के अनुसार ही आसन व व्यायाम करने चाहिएँ ।
            व्यायाम के लगभग आधे घंटे बाद ही स्नान करना चाहिए । सर्दियों में नहाने के बाद भी व्यायाम कर सकते हैं ; लेकिन गर्मियों के दिनों में तो स्नान से पहले ही व्यायाम कर लेना उचित रहेगा । इससे व्यायाम के समय आए हुए पसीने भी धुल जाएँगे और शरीर स्वच्छ हो जाएगा ।

Saturday, February 7, 2015

कुबडापन!


कचनार  ;   अगर शरीर में कुबडापन आ गया हो तो इसकी छाल का 3-4 ग्राम पावडर हल्दी मिले हुए दूध के साथ लें। इससे कूबडापन  ठीक होने में मदद मिलती है । 

Monday, February 2, 2015

cancer

 घृतकुमारी ; इसको प्रयोग करने से कैंसर में भी लाभ देखा गया है  । 

छुईमुई ; स्तन में गाँठ या कैंसर की सम्भावना हो तो , इसकी जड़ और अश्वगंधा की जड़ घिसकर लगाएँ ।  

गिलोय ;  कैंसर की बीमारी में 6 से 8 इंच की इसकी डंडी लें इसमें wheat grass का जूस और 5-7 पत्ते तुलसी के और 4-5 पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर काढ़ा बना लें ।  इसका सेवन खाली पेट करने से aplastic anaemia भी ठीक होता है । 

अपामार्ग  ;    इसकी छार या क्षार बहुत ही उपयोगी है . इसकी छाल, जड़ आदि को जलाकर पानी में ड़ाल दें . बाद में ऊपर का सब कुछ निथारकर फेंक दें . नीचे जो सफ़ेद सा पावडर बच जाता है ; उसे अपामार्ग की छार या क्षार बोलते हैं  ।  कैंसर में इसका क्षार बहुत उपयोगी है ।  

नागफनी (prickly pear , cactus )  ;  ऐसा माना जाता है की अगर इसके पत्तों के 2 से 5 ग्राम तक रस का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो कैंसर को रोका जा सकता है ।  

कचनार  ;  कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है।  10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें।  इससे सभी तरह की गांठें, कैंसर की गांठ , tumor  आदि सब ठीक हो जाता है।

शीशम  ;   अगर कहीं पर भी गाँठ है , यहाँ तक की कैंसर की भी ; इसके पत्तों को पीसकर लगाने से खत्म हो जाती हैं।  इसके अलावा अगर पत्तों को बिना पीसे तेल लगाकर गर्म करके बांधा जाए तब भी गाँठ ठीक होती हैं।  

Thursday, January 29, 2015

धूप स्नान !

भोर में उठकर धूप स्नान का बहुत महत्व है । कहा जाता है कि सुबह की धूप में सैर करने , या प्राणायाम करने से 200 - 250 बीमारियां ठीक हो जाती हैं । केवल धूप में  बैठने भर से ही बहुत लाभ होता है । महिलाओं के हर प्रकार के कैंसर होने से पूरी  सुरक्षा हो जाती है । ह्रदय रोग व् त्वचा के रोगों से भी, धूप स्नान बचा लेता है ।
धूप हमारे शरीर में  वाली रक्त वाहिनियों में मौजूद एक enzyme में nitric oxide की मात्रा बढ़ा देता है । जिससे हृदय रोगों की सम्भावना कम हो जाती है ।nitric oxide अपने आप में ही एक चमत्कारी अणु है ।  धूप स्नान से मस्तिष्क को भी शक्ति मिलती है । 
     कम से कम 20 मिनट तक धूप अवश्य लेनी चाहिए । परन्तु इतने से भी हमारे शरीर को विटामिन डी पूरा नहीं मिल पाता । वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक दिन हमारे शरीर को 10 nano gram vitamin डी  की ज़रुरत है । इतना विटामिन डी करीबन 45 मिनट तक धूप का सेवन करने पर बन पाता है । कोशिश करनी चाहिए कि पूरे दिन में 45 मिनट की धूप का सेवन अवश्य ही करें । 
अगर 10 -60 nano gram vitamin डी हर रोज़ हमे मिल जाए तो आयु लगभग 30 प्रतिशत तक भी बढ़ जाती है और तरह तरह की बीमारियों से भी बचाव हो जाता है ।  
धूप स्नान से पहले थोड़ा पानी अवश्य पी लें ताकि dehydration न हो । 

Thursday, January 22, 2015

गाँठ , fat deposition !

बकायन , महानिम्ब ( bead tree) ;  शरीर में कहीं भी गांठें हों या excess fats deposition हो गया हो, तो इसकी पत्तियां +छाल +इसके बीज बराबर मात्रा में मिलाकर , एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें ।     

 पंवाड, चक्रमर्द (foetid cassia) ;   इसकी पत्तियों की लुगदी बाँधने से गाँठ और सूजन खत्म होते हैं ।  

गुलदाउदी (chrysanthemum)  ;  कहीं पर गाँठ हो गयी हो तो इसकी जड़ घिसकर लगायें ।  

बथुआ (chenopodium)  ; अगर शरीर  में गांठें हो गई हैं तो , पूरे पौधे को सुखाकर 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पिलायें । 

हल्दी (turmeric)  ;  कहीं पर गाँठ हो तो हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर गर्म करें  और गाँठ पर बाँध लें ।  रोज़ सवेरे खाली पेट दो या तीन ग्राम हल्दी लेने से शरीर की हर प्रकार की गाँठ खत्म हो जाती है , फिर चाहे वह कहीं भी क्यों न हों ! 

गेंदा (african merigold )  ;  इसके पत्तों की लुगदी लगाने से  शरीर की किसी भी तरह की गाँठ ठीक होती है ।  

छुईमुई (touch me not )  ;  गाँठ या कैंसर की सम्भावना हो तो , इसकी जड़ और अश्वगंधा की जड़ घिसकर लगाएँ । कहीं  पर भी  गाँठ है तो इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ । 

गिलोय  ;  गिलोय का प्रयोग करते रहने से tumor ठीक हो जाते हैं ।  

पलाश (flame of the forest )  ;   कहीं पर गाँठ हो तो इसके पत्ते गर्म करके पुल्टिस बांधें ।  

कचनार  ;  कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है।  10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें।  इससे सभी तरह की गांठें ऊपरी या भीतर की , कैंसर की गांठ , tumor ,फोड़े -फुंसी , गलगंड आदि सब ठीक हो जाता है।  गर्भाशय की गांठेंभी  खत्म होती हैं। 
 स्नायु तंत्र में गाँठ हो तो इसकी इसकी छाल +तुलसी की चाय बनाकर पी लें। 

शीशम  ;  अगर कहीं पर भी गाँठ है , यहाँ तक की कैंसर की भी ; इसके पत्तों को पीसकर लगाने से खत्म हो जाती हैं।  इसके अलावा अगर पत्तों को बिना पीसे तेल लगाकर गर्म करके बांधा जाए तब भी गाँठ ठीक होती हैं। 

Tuesday, January 20, 2015

hiccups

भुट्टा(corn )  ; हिचकी आती हों तो भुट्टे की राख शहद के साथ चाटें । 

आँवला  ;  हिचकी के लिए  पीपली+ आंवला+ सोंठ बराबर मात्रा में मिला लो ।  सवेरे खाली पेट तीन ग्राम और शाम को भी तीन ग्राम लेने से हिचकियों से छुटकारा मिल जाता है ।  

गिलोय  ;   गिलोय का प्रयोग करते रहने से हिचकी की बीमारी ठीक होती हैं । 

Monday, January 12, 2015

शीतपित्त या urticaria !

शीतपित्त होने पर पूरे शरीर में एकदम खुजली होनी शुरू हो जाती है . यह जितनी शरीर के ऊपर फूली हुई दिखाई देती है ,  उतनी ही अंदर की तरफ भी फूल जाती है . जल्दी न संभाला जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है .
                         इसका अचूक इलाज है ;  4-5 चम्मच देसी घी +4-5 चम्मच खांड +4-5 काली मिर्च पीसकर सबको मिलाकर एक साथ खा लें . खाते ही शीतपित्त एकदम ठीक होना शुरू हो जाएगा . इसके अलावा शीतपित्तभंजन रस 10-20 ग्राम +हरिद्राखंड 100 ग्राम मिलाकर रख लें . इसे 1-2 ग्राम पानी के साथ लें .
                         नारियल के तेल में देसी कपूर मिलाकर रख दें . इसको मलें .
            बासी खाना न खाएं . ज्यादा ठंडी चीज़ें न खाएं . सादा पानी पीयें . कोल्ड ड्रिंक्स न पीयें .
           सवेरे शाम कायाकल्पवटी और गिलोय घनवटी का प्रयोग भी लाभदायक होगा . ये खाली पेट या खाना खाने के एक घंटे बाद ली जा सकती हैं  .
प्राणायाम निरंतर करें . अनुलोम-विलोम , भ्रामरी प्राणायाम विशेष तौर पर लाभकारी हैं।
कुछ पौधे भी लाभकारी हैं :

रेवनचीनी (rhubarb)  ;   शीतपित्त या urticaria की बीमारी में इसकी जड़ के पाउडर मे बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ लें । 

गंभारी (verbenaceae)  ;   शीतपित्त होने पर गंभारी के फल का पावडर मिश्री मिलाकर सवेरे शाम लें । 

पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia)  ;      यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार , शीतपित्त  आदि से छुटकारा मिलता है । 

बथुआ (chenopodium)  ;  शीतपित्त की परेशानी हो , तब इसका रस पीना लाभदायक रहता है ।   

पीपल (sacred fig) ; अगर शीतपित्त की परेशानी हो तो एक चम्मच देसी घी , एक ग्राम काली मिर्च खाकर इसके पत्तों का एक कप रस पी लें ।  दस मिनट में ही असर दिखाई देगा ।  अगर 5-7 दिन ऐसा लगातार कर लिया जाए तो बहुत हद तक शीत पित्त से बचा जा सकता है । 

आँवला  ;   अगर रक्तपित्त की बीमारी हो तो 10 gram आंवले का पावडर और 5 gram हल्दी मिला लें । इसे एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें ।  इसके अतिरिक्त आंवला और नीमपत्र मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें ।  इसका काढ़ा सवेरे शाम पीने से रक्त शुद्ध हो जाता है ।   

घृतकुमारी (aloe vera)  ;   शीत पित्त होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें |  

गूलर (cluster fig)  ;  शीत पित्त (पित्ती उछलना ) हो तो इसकी कोमल पत्तियों को पीसकर 10-15 ग्राम रस सवेरे खाली पेट लें ।  या इसके कच्चे फल सुखाकर उसका चूर्ण सवेरे शाम लें । 

insect bite

 भृंगराज   ;      बिच्छू काट ले तो इसके पत्तों के काटे हुए हिस्से पर मल लें ।  

सफ़ेद प्याज (white onion) ; ज़हरीले कीड़े ने काट लिया है तो प्याज काटकर और उसपर सेंधा नमक लगाकर रगड़ें ।  बिच्छू ने काटा है तो इसमें चूना भी मिला दें फिर रगड़ें ।  इसकी पोटली बांधकर टांग दें तो बरसाती कीड़े नहीं आते ।   

पीपल (sacred fig) ;   गाँवों में सांप के काटने पर वैद्य एक गोपनीय प्रयोग करते थे ।  मरीज़  के दोनों कानों में पीपल का एक एक पत्ता एक साथ डालते थे ।  कुछ क्षण में खिंचाव सा महसूस होने पर पत्ते बदल देते थे ।  इस तरह 40 या उससे भी अधिक पत्ते काम में लाते थे । फिर इन पत्तों को मिटटी में दबा दिया जाता था । कहते हैं; ये पत्ते सांप का जहर सोख लेते थे और मरीज़ ठीक हो जाता था ।   

धतूरा (prickly poppy)  ;  इसके बीज का तेल सांप के काटने पर और अन्य जतुओं के काटने पर इस्तेमाल होता है ।  

भाँग (cannabis )  ;  अगर कोई कीड़ा काट गया है,  तो इसके पत्तों के काढ़े में सेंधा नमक मिलाकर उस जगह को अच्छे धोएं और उस पर डालते रहें ।   

अग्निशिखा  ;   सांप के काटने पर, कटे हुए स्थान पर,  इसके कन्द के चूर्ण को बुरक दें । 

पलाश (flame of the forest )  ;  इसकी छाल का काढ़ा विषनाशक है ; किसी ने तो यहाँ तक कहा कि यह सर्पविष का भी इलाज है |  


शीशम  ;   इसके पत्ते विष को भी समाप्त करते हैं . अगर कोई जहरीला कीड़ा काटने से सूजन हो या वैसे ही कहीं पर सूज गया हो तो , इसके पत्ते और नीम के पत्ते उबालकर उस पानी में नमक डालें और सिकाई करें ।  

कदम्ब  ;   इसके फलों के छाया में सूखे हुए टुकड़ों का पावडर सवेरे शाम खाने से अगर कोई कीड़ा मकोड़ा लड़ जाए तो उसका ज़हर उतर जाता है। 

Monday, January 5, 2015

acidity, vomiting, indigestion,bloating !

रेवनचीनी ;     अगर acidity है तो इसकी जड़ + धनिया +मिश्री मिलाकर सवेरे शाम गुनगुने पानी से ले लें। 

खस (grass)  ;   पित्त, acidity या घबराहट हो तो इसकी जड़ कूटकर काढ़ा बनाएं और मिश्री मिलाकर पीयें ।   

शरपुंखा  ;       acidity की समस्या होया फिर डकार आती हों । सब तरह की दिक्कत शरपुन्खा के पंचांग का काढ़ा ठीक कर देता है .  

तुलसी (holi basil)  ;  उल्टी आती हों या जी मिचलाता हो तो , इसकी तीन चार पत्तियां अदरक के रस और शहद के साथ चाटें ।  

अंगूर (मुनक्का ) grapes ;   अगर acidity की समस्या है तो मुनक्का पीसकर हरड के साथ सवेरे शाम लें ।    

 आँवला   ;  Acidity की समस्या में इसका पावडर 5 ग्राम रात को भिगो दें । सवेरे छानकर मिश्री मिलाकर पीयें । इसके फलों का रस कांच की शीशी में भरकर धूप लगायें ।  यह खराब नहीं होगा ।  फिर 15 ml एक गिलास पानी में मिलाकर, मिश्री मिलाकर पीयें ।  इससे गर्मी कम लगेगी और उल्टियाँ भी ठीक होंगी ।  या फिर इसका पावडर शहद के साथ लें । 

मेथी (fenugreek) ;   दूध आराम से पचता न हो तो मेथी दाने को भूनकर रख दें ।  इसे पीस लें ।  जब भी दूध पीना हो तब एक चम्मच मिला लें ।  इससे गैस भी नहीं बनेगी और दूध भी अच्छी तरह पचेगा । 

धनिया (coriander)  ;   अगर acidity से परेशानी है तो एक चम्मच धनिया पावडर +एक चम्मच आंवले का पावडर +शहद रात को एक मिटटी के बर्तन में भिगो दें ।  सवेरे मसलकर पी लें ।  प्रतिदिन ऐसा करने से कुछ समय बाद यह परेशानी दूर हो जाती हैं ।   acidity . खट्टी डकार ,ulcer या gastric trouble हो तो धनिया पावडर एक चम्मच खाली पेट ले लें । 

curry leaves  ;   अपच हो तो 1-2 ग्राम पत्तों को पानी उबालकर चाय की तरह पिएँ । Acidity या ulcer होने पर इसके पत्तों का 3-4 ग्राम रस एक कप पानी  में मिलाकर सवेरे शाम लें । 

 मरुआ  ;  अपच अफारा हो तो इसकी चटनी बहुत लाभकारी है ।  

कालमेघ  ;  indigestion है , भूख नहीं लगती ; इन सभी का इलाज है यह कि   2 ग्राम आंवला +2 ग्राम कालमेघ +2 ग्राम मुलेटी का 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाइए और सवेरे शाम लीजिए।  

कचनार  ;  पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम त्रिफला के साथ कचनार की छाल का पावडर लें।  

जामुन  ;  इसके फल साफ़ बर्तन में डालकर , उसमें नमक मिलाकर 1-2 दिन के लिए छोड़ दें।  फिर उसका जलीय अंश इकट्ठा करके छानकर शीशी में भर लें और धूप लगा दें।  यह बन गया जामुन का सिरका ! यह पाचक होता है।  इससे पेट के रोग ठीक होते है।