Thursday, January 29, 2015

धूप स्नान !

भोर में उठकर धूप स्नान का बहुत महत्व है । कहा जाता है कि सुबह की धूप में सैर करने , या प्राणायाम करने से 200 - 250 बीमारियां ठीक हो जाती हैं । केवल धूप में  बैठने भर से ही बहुत लाभ होता है । महिलाओं के हर प्रकार के कैंसर होने से पूरी  सुरक्षा हो जाती है । ह्रदय रोग व् त्वचा के रोगों से भी, धूप स्नान बचा लेता है ।
धूप हमारे शरीर में  वाली रक्त वाहिनियों में मौजूद एक enzyme में nitric oxide की मात्रा बढ़ा देता है । जिससे हृदय रोगों की सम्भावना कम हो जाती है ।nitric oxide अपने आप में ही एक चमत्कारी अणु है ।  धूप स्नान से मस्तिष्क को भी शक्ति मिलती है । 
     कम से कम 20 मिनट तक धूप अवश्य लेनी चाहिए । परन्तु इतने से भी हमारे शरीर को विटामिन डी पूरा नहीं मिल पाता । वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक दिन हमारे शरीर को 10 nano gram vitamin डी  की ज़रुरत है । इतना विटामिन डी करीबन 45 मिनट तक धूप का सेवन करने पर बन पाता है । कोशिश करनी चाहिए कि पूरे दिन में 45 मिनट की धूप का सेवन अवश्य ही करें । 
अगर 10 -60 nano gram vitamin डी हर रोज़ हमे मिल जाए तो आयु लगभग 30 प्रतिशत तक भी बढ़ जाती है और तरह तरह की बीमारियों से भी बचाव हो जाता है ।  
धूप स्नान से पहले थोड़ा पानी अवश्य पी लें ताकि dehydration न हो । 

Thursday, January 22, 2015

गाँठ , fat deposition !

बकायन , महानिम्ब ( bead tree) ;  शरीर में कहीं भी गांठें हों या excess fats deposition हो गया हो, तो इसकी पत्तियां +छाल +इसके बीज बराबर मात्रा में मिलाकर , एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें ।     

 पंवाड, चक्रमर्द (foetid cassia) ;   इसकी पत्तियों की लुगदी बाँधने से गाँठ और सूजन खत्म होते हैं ।  

गुलदाउदी (chrysanthemum)  ;  कहीं पर गाँठ हो गयी हो तो इसकी जड़ घिसकर लगायें ।  

बथुआ (chenopodium)  ; अगर शरीर  में गांठें हो गई हैं तो , पूरे पौधे को सुखाकर 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पिलायें । 

हल्दी (turmeric)  ;  कहीं पर गाँठ हो तो हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर गर्म करें  और गाँठ पर बाँध लें ।  रोज़ सवेरे खाली पेट दो या तीन ग्राम हल्दी लेने से शरीर की हर प्रकार की गाँठ खत्म हो जाती है , फिर चाहे वह कहीं भी क्यों न हों ! 

गेंदा (african merigold )  ;  इसके पत्तों की लुगदी लगाने से  शरीर की किसी भी तरह की गाँठ ठीक होती है ।  

छुईमुई (touch me not )  ;  गाँठ या कैंसर की सम्भावना हो तो , इसकी जड़ और अश्वगंधा की जड़ घिसकर लगाएँ । कहीं  पर भी  गाँठ है तो इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ । 

गिलोय  ;  गिलोय का प्रयोग करते रहने से tumor ठीक हो जाते हैं ।  

पलाश (flame of the forest )  ;   कहीं पर गाँठ हो तो इसके पत्ते गर्म करके पुल्टिस बांधें ।  

कचनार  ;  कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है।  10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें।  इससे सभी तरह की गांठें ऊपरी या भीतर की , कैंसर की गांठ , tumor ,फोड़े -फुंसी , गलगंड आदि सब ठीक हो जाता है।  गर्भाशय की गांठेंभी  खत्म होती हैं। 
 स्नायु तंत्र में गाँठ हो तो इसकी इसकी छाल +तुलसी की चाय बनाकर पी लें। 

शीशम  ;  अगर कहीं पर भी गाँठ है , यहाँ तक की कैंसर की भी ; इसके पत्तों को पीसकर लगाने से खत्म हो जाती हैं।  इसके अलावा अगर पत्तों को बिना पीसे तेल लगाकर गर्म करके बांधा जाए तब भी गाँठ ठीक होती हैं। 

Tuesday, January 20, 2015

hiccups

भुट्टा(corn )  ; हिचकी आती हों तो भुट्टे की राख शहद के साथ चाटें । 

आँवला  ;  हिचकी के लिए  पीपली+ आंवला+ सोंठ बराबर मात्रा में मिला लो ।  सवेरे खाली पेट तीन ग्राम और शाम को भी तीन ग्राम लेने से हिचकियों से छुटकारा मिल जाता है ।  

गिलोय  ;   गिलोय का प्रयोग करते रहने से हिचकी की बीमारी ठीक होती हैं । 

Monday, January 12, 2015

शीतपित्त या urticaria !

शीतपित्त होने पर पूरे शरीर में एकदम खुजली होनी शुरू हो जाती है . यह जितनी शरीर के ऊपर फूली हुई दिखाई देती है ,  उतनी ही अंदर की तरफ भी फूल जाती है . जल्दी न संभाला जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है .
                         इसका अचूक इलाज है ;  4-5 चम्मच देसी घी +4-5 चम्मच खांड +4-5 काली मिर्च पीसकर सबको मिलाकर एक साथ खा लें . खाते ही शीतपित्त एकदम ठीक होना शुरू हो जाएगा . इसके अलावा शीतपित्तभंजन रस 10-20 ग्राम +हरिद्राखंड 100 ग्राम मिलाकर रख लें . इसे 1-2 ग्राम पानी के साथ लें .
                         नारियल के तेल में देसी कपूर मिलाकर रख दें . इसको मलें .
            बासी खाना न खाएं . ज्यादा ठंडी चीज़ें न खाएं . सादा पानी पीयें . कोल्ड ड्रिंक्स न पीयें .
           सवेरे शाम कायाकल्पवटी और गिलोय घनवटी का प्रयोग भी लाभदायक होगा . ये खाली पेट या खाना खाने के एक घंटे बाद ली जा सकती हैं  .
प्राणायाम निरंतर करें . अनुलोम-विलोम , भ्रामरी प्राणायाम विशेष तौर पर लाभकारी हैं।
कुछ पौधे भी लाभकारी हैं :

रेवनचीनी (rhubarb)  ;   शीतपित्त या urticaria की बीमारी में इसकी जड़ के पाउडर मे बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ लें । 

गंभारी (verbenaceae)  ;   शीतपित्त होने पर गंभारी के फल का पावडर मिश्री मिलाकर सवेरे शाम लें । 

पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia)  ;      यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार , शीतपित्त  आदि से छुटकारा मिलता है । 

बथुआ (chenopodium)  ;  शीतपित्त की परेशानी हो , तब इसका रस पीना लाभदायक रहता है ।   

पीपल (sacred fig) ; अगर शीतपित्त की परेशानी हो तो एक चम्मच देसी घी , एक ग्राम काली मिर्च खाकर इसके पत्तों का एक कप रस पी लें ।  दस मिनट में ही असर दिखाई देगा ।  अगर 5-7 दिन ऐसा लगातार कर लिया जाए तो बहुत हद तक शीत पित्त से बचा जा सकता है । 

आँवला  ;   अगर रक्तपित्त की बीमारी हो तो 10 gram आंवले का पावडर और 5 gram हल्दी मिला लें । इसे एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें ।  इसके अतिरिक्त आंवला और नीमपत्र मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें ।  इसका काढ़ा सवेरे शाम पीने से रक्त शुद्ध हो जाता है ।   

घृतकुमारी (aloe vera)  ;   शीत पित्त होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें |  

गूलर (cluster fig)  ;  शीत पित्त (पित्ती उछलना ) हो तो इसकी कोमल पत्तियों को पीसकर 10-15 ग्राम रस सवेरे खाली पेट लें ।  या इसके कच्चे फल सुखाकर उसका चूर्ण सवेरे शाम लें । 

insect bite

 भृंगराज   ;      बिच्छू काट ले तो इसके पत्तों के काटे हुए हिस्से पर मल लें ।  

सफ़ेद प्याज (white onion) ; ज़हरीले कीड़े ने काट लिया है तो प्याज काटकर और उसपर सेंधा नमक लगाकर रगड़ें ।  बिच्छू ने काटा है तो इसमें चूना भी मिला दें फिर रगड़ें ।  इसकी पोटली बांधकर टांग दें तो बरसाती कीड़े नहीं आते ।   

पीपल (sacred fig) ;   गाँवों में सांप के काटने पर वैद्य एक गोपनीय प्रयोग करते थे ।  मरीज़  के दोनों कानों में पीपल का एक एक पत्ता एक साथ डालते थे ।  कुछ क्षण में खिंचाव सा महसूस होने पर पत्ते बदल देते थे ।  इस तरह 40 या उससे भी अधिक पत्ते काम में लाते थे । फिर इन पत्तों को मिटटी में दबा दिया जाता था । कहते हैं; ये पत्ते सांप का जहर सोख लेते थे और मरीज़ ठीक हो जाता था ।   

धतूरा (prickly poppy)  ;  इसके बीज का तेल सांप के काटने पर और अन्य जतुओं के काटने पर इस्तेमाल होता है ।  

भाँग (cannabis )  ;  अगर कोई कीड़ा काट गया है,  तो इसके पत्तों के काढ़े में सेंधा नमक मिलाकर उस जगह को अच्छे धोएं और उस पर डालते रहें ।   

अग्निशिखा  ;   सांप के काटने पर, कटे हुए स्थान पर,  इसके कन्द के चूर्ण को बुरक दें । 

पलाश (flame of the forest )  ;  इसकी छाल का काढ़ा विषनाशक है ; किसी ने तो यहाँ तक कहा कि यह सर्पविष का भी इलाज है |  


शीशम  ;   इसके पत्ते विष को भी समाप्त करते हैं . अगर कोई जहरीला कीड़ा काटने से सूजन हो या वैसे ही कहीं पर सूज गया हो तो , इसके पत्ते और नीम के पत्ते उबालकर उस पानी में नमक डालें और सिकाई करें ।  

कदम्ब  ;   इसके फलों के छाया में सूखे हुए टुकड़ों का पावडर सवेरे शाम खाने से अगर कोई कीड़ा मकोड़ा लड़ जाए तो उसका ज़हर उतर जाता है। 

Monday, January 5, 2015

acidity, vomiting, indigestion,bloating !

रेवनचीनी ;     अगर acidity है तो इसकी जड़ + धनिया +मिश्री मिलाकर सवेरे शाम गुनगुने पानी से ले लें। 

खस (grass)  ;   पित्त, acidity या घबराहट हो तो इसकी जड़ कूटकर काढ़ा बनाएं और मिश्री मिलाकर पीयें ।   

शरपुंखा  ;       acidity की समस्या होया फिर डकार आती हों । सब तरह की दिक्कत शरपुन्खा के पंचांग का काढ़ा ठीक कर देता है .  

तुलसी (holi basil)  ;  उल्टी आती हों या जी मिचलाता हो तो , इसकी तीन चार पत्तियां अदरक के रस और शहद के साथ चाटें ।  

अंगूर (मुनक्का ) grapes ;   अगर acidity की समस्या है तो मुनक्का पीसकर हरड के साथ सवेरे शाम लें ।    

 आँवला   ;  Acidity की समस्या में इसका पावडर 5 ग्राम रात को भिगो दें । सवेरे छानकर मिश्री मिलाकर पीयें । इसके फलों का रस कांच की शीशी में भरकर धूप लगायें ।  यह खराब नहीं होगा ।  फिर 15 ml एक गिलास पानी में मिलाकर, मिश्री मिलाकर पीयें ।  इससे गर्मी कम लगेगी और उल्टियाँ भी ठीक होंगी ।  या फिर इसका पावडर शहद के साथ लें । 

मेथी (fenugreek) ;   दूध आराम से पचता न हो तो मेथी दाने को भूनकर रख दें ।  इसे पीस लें ।  जब भी दूध पीना हो तब एक चम्मच मिला लें ।  इससे गैस भी नहीं बनेगी और दूध भी अच्छी तरह पचेगा । 

धनिया (coriander)  ;   अगर acidity से परेशानी है तो एक चम्मच धनिया पावडर +एक चम्मच आंवले का पावडर +शहद रात को एक मिटटी के बर्तन में भिगो दें ।  सवेरे मसलकर पी लें ।  प्रतिदिन ऐसा करने से कुछ समय बाद यह परेशानी दूर हो जाती हैं ।   acidity . खट्टी डकार ,ulcer या gastric trouble हो तो धनिया पावडर एक चम्मच खाली पेट ले लें । 

curry leaves  ;   अपच हो तो 1-2 ग्राम पत्तों को पानी उबालकर चाय की तरह पिएँ । Acidity या ulcer होने पर इसके पत्तों का 3-4 ग्राम रस एक कप पानी  में मिलाकर सवेरे शाम लें । 

 मरुआ  ;  अपच अफारा हो तो इसकी चटनी बहुत लाभकारी है ।  

कालमेघ  ;  indigestion है , भूख नहीं लगती ; इन सभी का इलाज है यह कि   2 ग्राम आंवला +2 ग्राम कालमेघ +2 ग्राम मुलेटी का 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाइए और सवेरे शाम लीजिए।  

कचनार  ;  पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम त्रिफला के साथ कचनार की छाल का पावडर लें।  

जामुन  ;  इसके फल साफ़ बर्तन में डालकर , उसमें नमक मिलाकर 1-2 दिन के लिए छोड़ दें।  फिर उसका जलीय अंश इकट्ठा करके छानकर शीशी में भर लें और धूप लगा दें।  यह बन गया जामुन का सिरका ! यह पाचक होता है।  इससे पेट के रोग ठीक होते है।