Sunday, May 8, 2016

कौन हूँ मैं !

पल पल अनुभूति का संग्रह हूँ मैं
बिगड़ते बनते क्षणों का विग्रह हूँ मैं
समय की गोद में समाहित हुई
कटु वेदनाओं  का परिग्रह हूँ मैं
              नीले आकाश का विस्तार हूँ मैं
               प्रकृति के रूप का श्रृगार हूँ मैं
              जड़ चेतन के कण कण में समाये
              सूक्ष्म अणु के गर्भ का संचार हूँ मैं
शुद्ध सरलता साकार हूँ मैं
सम्पूर्ण सृष्टि का व्यवहार हूँ मैं
कटु कठिन पथ के कंटकों पर
सौम्य मखमली विस्तार हूँ मैं
                 तीव्र  वेदना में कटु औषधि मैं
                अति शुष्क उर में जलनिधि मैं
                विपुल दुःखभरी सन्तप्तता का
                 सतत बोझ हरता प्रतिनिधि मैं
दीप्त भाल की उद्दीप्ति हूँ मैं
अंतर्मनस की संतृप्ति हूँ मैं
शुभचेतना के नवपटल पर
सदभाव की अभिव्यक्ति हूँ मैं
                    इस क्रूर जग का सार हूँ मैं
                    गहन तमस का विस्तार हूँ मैं
                 आंसुओं के बोझ सहती वेदना का
                  शान्त, मूक, असीम पारावार हूँ मैं
यह कौन जाने, कौन हूँ मैं
हूँ तो चकित! पर मौन हूँ मैं
कुछ रहस्यों से भरी इन गुत्थियों का
ही कदाचित सहज दृष्टिकोण हूँ मैं


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